आजकल चांदी का नारियल सोने की सुपारी और हीरे का पानदान देखकर रिश्ता तय होता है ना की खानदान देखकर।
I like to write Hindi poetry in comprehensive language, which try to depict different situation and state of mind of human beings. All Rights reserved ©Shilpa Ronghe
Wednesday, January 31, 2024
Saturday, January 27, 2024
काबिलियत
काबिलियत बनाने की पहली सीढ़ी है किताब, मगर काबिल इंसान बनने की आख़री सीढ़ी है तुम्हारा अनूठा हुनर।
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होली
इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।
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पांच पावन दिन जब मिलते तो बनता दीपों का हार. रोशनी की सजती हर घर बारात. फूलों के तोरण से बाग सा सुंदर लगता हर घर द्वार. सात ...
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ना देखा, ना मिली, ना महसूस किया फिर भी उपरवाले में यकीन करती हूं. जो नहीं देता वो और देना चाहता है वो उस पर छोड़ देती हूं. क्योंकि गुज...
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हवा ने बहना ही छोड़ दिया. पत्तों ने सांस लेना ही बंद कर दिया. ना चिड़ियां की चूं चूं ना कोयल की कू कू लगता है कुछ यूं ग्रीष्म म...