Tuesday, July 30, 2019

बारिश

दर- ब- दर भटक रहा रूखापन.
बारिश ने किया हर ज़र्रे को तरबतर.

शिल्पा रोंघे 

वफ़ा की कविता

हमने तो अपने हिस्से की वफ़ा 
निभा दी.

उनकी दगा की सजा वक्त 
ने हमें क्यों दी ?

कर लेंगे हम मंजूर इसे भी हंसते हंसते
अगर मिल जाए उनको हमारे 
गम के बदले ख़ुशी.

शिल्पा रोंघे 

Monday, July 29, 2019

वक्त

वक्त से निर्मम भी कोई नहीं,
वक्त से ज्यादा दयालु भी कोई 
नहीं.

वक्त कभी ठहरता नहीं 
चाहे बुरा हो या अच्छा 
बदलता ज़रूर है.



दुनिया में जब कहीं होता 
है अंधेरा तो कहीं होता 
उजाला है.

इसलिए कहते है शायद सब 
वक्त वक्त की बात है.

शिल्पा रोंघे 

Sunday, July 28, 2019

दोस्ती

दोस्ती भी संभालकर करने का दौर हैं.
धोखा भी वहीं देते है, जिन पर 
पर आंख मूंदकर ऐतबार किया 
जाता है.

शिल्पा रोंघे

Saturday, July 27, 2019

हाल ए दिल

अब हाल ए दिल 
सुनाएंगे उनको ही 
जो काबिल होंगे 
दिल पर हुकुमत 
करने के लिए.

ख़त भी भेजेंगे 
उस पते पर जहां 
जवाब की गुंजाइश हो,
ना कि रिश्तों की नुमाइश 
हो.

हो ना सके मुक्कमल 
ऐसी भी फ़रमाइश ना हो.

शिल्पा रोंघे 

Friday, July 26, 2019

मन की परत

मन पर परतें होती है, तन से भी नाजुक 
ठेस लगे तो लग जाते है कई साल बनने 
में नई परत.

शिल्पा रोंघे 

Thursday, July 25, 2019

कारगिल दिवस


वो भरी जवानी में देश की धरती को लहू 
से अपने सींचकर गए.
अखंड भारत के लिए ज़िंदगी अपनी 
कुर्बान कर गए.

शिल्पा रोंघे 

कंवल

ख़्वाहिश का ताल है.
उम्मीदों के कंवल खिले 
है.
भंवरे का गूंजन भी 
कह रहा है क्या माहिया 
बनके फूहार तेरे 
शहर को भिगोने वाले हैं ?

शिल्पा रोंघे 

Wednesday, July 24, 2019

ज़िंदगी

ज़िंदगी के उतार चढ़ाव 
ने मुझे डराया नहीं, ये बताया 
है कि कौन अपना और कौन 
पराया है.

रंग

पीड़ा भी रंगीन होती है, और सुख भी 
रंगहीन.
कुछ लोग कंकड़, कंटक और पत्थर 
के मार्ग को भी हंसी खुशी चुनते हैं.

शिल्पा रोंघे

Monday, July 22, 2019

मेघ राजा

मेघ राजा तुम मुझे इतना बता दो,
हमसे तुम्हे गिला क्या 
है.

कभी बाढ़ बनकर कहर ढा  रहे 
हो, तो कहीं सावन में भी 
बेरूख़ी दिखा रहे हो.

शिल्पा रोंघे 

उजाले

मैंने उजाले की तलाश बंद कर दी.
कि उसकी आंखों के चिराग ही काफी 
है, अंधेरों के नामोनिशान 
मिटाने के लिए.

शिल्पा रोंघे 

Sunday, July 21, 2019

सोच


उसने सोचा इक दिन लिखना छोड़ दे.
फिर ख़्याल आया रूह को 
ज़िस्म से कैसे  ज़ुदा रख सकते है ?

शिल्पा रोंघे 

वो बात

गिनकर वो ऐब मेरे 
हुनरमंद हुए जा रहे हैं,
चलो किसी बहाने मेरे चर्चे तो 
हो रहे है.

शिल्पा रोंघे 

Saturday, July 20, 2019

कसूर

मान लिया बेगाना तुमने, तुम्हारा दोष नहीं.
समुंदर के रहकर भी करीब इंसान का प्यासा रह जाना कोई नई बात नहीं.

शिल्पा रोंघे 

कुछ बातें

गलत नहीं होती कुछ कहानियां.
बस समय से आगे की सोच लिए 
होती हैं.

शिल्पा रोंघे 

सच का प्रेम

समझदारी दिल को ये समझा लेने में हैं.❤ (आत्ममुग्ध )

तो सवाल ये है कि सच्चा प्यार उम्र के 
किस पड़ाव के बाद मिलता है ?
जवाब ये है कि शायद मिलता है और 
शायद जीवनभर ही नहीं.✍
शिल्पा रोंघे 

Wednesday, July 17, 2019

भाग्य


भाग्य खुद लिखता है इंसान
मानती हूं और जानती हूं.

कोई माने या ना माने
पूर्वजन्म के चक्र
में विश्वास करती हूं.

रिश्ते नाते,
दोस्ती, टकराव, लगाव
रूचि और अरूची
सुख और दूख
पिछले जन्मों से
है जुड़े ये मानती हूं मैं.

एक अधूरी प्रस्तावना होता
है पिछला जन्म जिसका
उपसंहार अगले जन्म में
लिखते है हम, चाहे अनचाहे इस
बात पर विश्वास कर जाती हूं मैं.

शिल्पा रोंघे


सोच

आंखों की नमी और होंठों की 
मुस्कान डाल देती हूं.

ठीक उसी तरह जैसे कि 
पकवान में कभी नमक 
डालती हूं, तो कभी शक्कर 
डाल देती हूं.

कहानी जब अल्फ़ाजों 
की लिखती हूं.
 
शिल्पा रोंघे 

Tuesday, July 16, 2019

मेरी कलम

मैं ही लिखती रहती हूं ज़िंदगी 
तुझे कागज़ पर हर दफ़ा.
कभी फुर्सत मिले तो एक 
पन्ना खुशियों का तू मेरे भी 
नाम लिख जाना.

शिल्पा रोंघे

Monday, July 15, 2019

गुरु पूर्णिमा

यूं तो हीरे का भी वजूद 
होता है,
लेकिन क्या तराशे बगैर
भी वो कमाल होता ?
गुरू बिना शिष्य भी 
मूरत ना बन सका वो 
पत्थर होता 
है.
शिल्पा रोंघे 

अंजान

उसे नहीं पता था, कौन उसका हबीब है.
जो है नहीं मालूम वो उसका नसीब है.
जानकर भी अंजान रखना 
यही इश्क की तरकीब है.

शिल्पा रोंघे 

जिंदगी का सार

सोच समझकर करे जीवन के फ़ैसले...

माना कि लालच से बुरी बला नहीं कोई.
लेकिन सामने आई थाली को ठुकराने से बड़ी 
गलती भी नहीं कोई.

शिल्पा रोंघे 

पशु पक्षी की कहानी

पशु पक्षी की कहानी

करो शुक्रिया ऊपर वाले का 
जिसने हमें इंसान बनाया.
वो ना तो कर सकता है 
इबादत ना शिकायत 
हमारी तरह.

Sunday, July 14, 2019

माफ़ करो उन्हें.

माफ़ करो उन्हें..

जो बिना वजह आपसे नाराज़ रहते है.
अक्सर वो खुद से ही नाख़ुश रहते हैं.

Saturday, July 13, 2019

सपनों का महल

ताश का महल 
ख़्वाब का महल 
एक ही तो है पूरी 
चाहतों की अधूरी 
कहानी कहते है.

शिल्पा रोंघे 

नहीं चाहिए

नहीं चाहत ऐसे प्यार की....


हैरानी तब होती है जब लोग बिना शर्त 
प्यार पाना चाहते है, लेकिन देना नहीं
चाहते है.

शिल्पा रोंघे 

नये दौर की बात

दमन ही बगावत का जनक
है.
स्वतंत्रता और स्वच्छंदता 
में भी फ़र्क करना ज़रूरी है.

शिल्पा रोंघे 

Friday, July 12, 2019

देर से

दिल के मेले में,
अकेले में,
याद करोगे
माहिया, मुझे तुम एक दिन 
ज़रूर, जब पलटोगे 
अतीत के पन्ने.

कि किसी ने चाहा था तुम्हारी 
रूह को, जब सिर्फ मिलेंगे
तुम्हें सूरत देखकर 
सिर आंखों पर बिठाने वाले.


शायद पछताओगे,
पुकारोगे हमें,
बहुत दूर जाने के बाद,
बहुत देर हो जाने के बाद.

शिल्पा रोंघे 

Wednesday, July 10, 2019

वक्त की बात

मैंने वक्त से कहा तू रूकता क्यों नहीं ?
जवाब मिला गर मैं रूकता 
तो तुम भी ठहर जाते वहीं.

शिल्पा रोंघे 

दुआ

तब दुआ कबूल होगी.....


असर दुआ में भी,
असर बद्दुआ में भी,
गैरों की बात छोड़,
तू बस ऊपरवाले से 
अपने और पराए
दोनों की खैरियत 
की मांग किया कर.

शिल्पा रोंघे

Tuesday, July 9, 2019

कोशिश

सिर्फ कोशिश करने से मिलती नहीं जन्नत
मालूम है मुझे, लेकिन 
पछतावा भी नहीं होता.

शिल्पा रोंघे 

कभी ना छोड़ना साथ

कभी ना छोड़ना साथ उस शख़्स
का जो तुम्हें पसंद करे, ना कि तुम्हारी
दुनिया की गढ़ी छवि को.

शिल्पा रोंघे

चार दिन का मेला

अज़ीब है दुनिया के रिवाज़ भी,
रिश्ता जोड़कर रखे तब समझते 
है मतलब निकलता होगा.

रिश्ता तोड़ लें तो समझते है, कोई और 
मकसद होगा.

रिश्तों की जोड़ तोड़
में उलझकर रह जाता है 
एक नर्मदिल इंसान अकेला.
चाहे क्यों ना हो
ये दुनिया 
चार दिन का मेला.

शिल्पा रोंघे 

Monday, July 8, 2019

दीदार ए यार

मैंने सोचा चांद पर रहते है मितवा.
तो खत वहीं भेज दिया.
हूं इस उलझन में बरसते हुए नूर 
को इनकार समझूं, इकरार समझूं 
या उनके दिल की कश्मकश समझूं.
दीदार ए यार है, या सदियों का इंतज़ार 
इस नादान दिल को कुछ समझ आता 
नहीं.

शिल्पा रोंघे

Saturday, July 6, 2019

इतनी दूर

इतनी दूर भी ना ले जाना ज़िंदगी, 
कि किसी को लौट के आने का इंतज़ार 
ना हो, कि दिल कोई बेकरार ना हो.

शिल्पा रोंघे

कल्पना लोक

फूल, पत्तों, तितलियों, भंवरों,

पंछियों, नीले आसमां के काले मेघों,

जल में तैरती रंग बिरंगी 
मछलियों, बतख़ों,

काली रात के रोशन सितारों, 
दिन के उजालों से सजा 
रखी थी उसने अपने कल्पनालोक 
की दीवारें.

कहते थे लोग कभी तो यथार्थ 
की बंजर ज़मीन पर पैर रखों.

कह दिया उसने भी यथार्थ की 
ज़मीन और कल्पना की दीवार 
में कोई फ़र्क नहीं है दोनों मिट्टी 
से ही बनी है.

दुनिया की हकीकत है मिट्टी 
तो कल्पना की बुनियाद क्यों 
ना बने मिट्टी.

शिल्पा रोंघे 


Friday, July 5, 2019

दुआ

मेरे दुश्मन, तेरे लिए दिल से बस दुआ निकलेगी.
मुझसे बेहतर दोस्त मिले तुमको, ये अ़र्ज होगी.

शिल्पा रोंघे

हिना का रंग

काश कोई उनसे भी पूछता पीले हाथों
की बात.
ख़ामखा क्यों ज़माना एक औरत से 
ही लगाता है हिना की उम्मीद.

शिल्पा रोंघे 

Thursday, July 4, 2019

नया दौर

रूचि, मेहनत और तर्क का मेल है
नए वक्त की ज़रूरत.

शिल्पा रोंघे 

Wednesday, July 3, 2019

बारिश की बात

टिप टिप  बरसता पानी तो बस बहाना है, 
असल में चाय के संग पकौड़े खाना है.

शिल्पा रोंघे 

Tuesday, July 2, 2019

ईश्वर

निराकार है या साकार है.
ये बहस का विषय नहीं.
वो चल रहा है उसके दिखाए 
रास्ते पर या नहीं.
बस फ़िक्र होनी चाहिए 
मनुष्य को यही.

शिल्पा रोंघे 

          

प्यार

शायद सच है ये प्रेम एक बार 
ही होता है, बाकी सब भ्रम होता है.


शिल्पा रोंघे 

घड़ी

घड़ी -घड़ी बदलते लोग देखकर, 
घड़ी भी  बोल पड़ी इतनी जल्दी तो मैं भी 
नहीं चलती.

शिल्पा रोंघे 

Monday, July 1, 2019

ख़ारा प्रेम

अर्ज़ किया है....

ख़ारे हाथों से वो ज़ख्म भरना चाहते है.
वो बेवफ़ा वफ़ा का पाठ पढ़ना चाहते हैं.

शिल्पा रोंघे 

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।