Saturday, December 30, 2017

धर्म

कोई भी धर्म बांटने का काम कतई नहीं करता
बल्कि जीना सीखता है चाहे कोई भी हो.
वेस्टर्न कल्चर के प्रभाव में लोग धर्म को भूलते
जा रहे है.
अपना धर्म मानना शर्म नहीं कर्म का प्रतीक है.

शिल्पा रोंघे

Friday, December 29, 2017

दिलवाले का दौर

ये दौर दिलवालों का नहीं है.
ये दौर है दिमाग से सोचने वालों का.
गर लेना हो ज़िंदगी का कोई अहम फ़ैसला तो
दिल से पहले दिमाग की राय लेना मत भूलना.

शिल्पा रोंघे

नया साल

झड़ने दो पुराने पत्तों को.
🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂

गिरने दो फूलों को जमीं पर.
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

कि नए पत्ते फिर आएंगे शाखों पर.
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

कि नए फूल फिर उगेंगे डाली पर.
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

ताकेंगे आसमान की ओर.
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴

गिरने से मत डरो, झड़ने से ना डरो.

बीज भी जमीन में गिरकर ही पौधे
बन जाते है फिर पेड़ का रूप ले
लेते हैं.
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
नए साल का जश्न भी हम नएपन के
साथ मनाएंगे.

🎉🎉🎉🎉🎉

शिल्पा रोंघे

शम्मा की कहानी

सिर्फ लौ के सहारे जलती है शम्मा
उजाला देती है शम्मा.
पंख वाला है परवाना

उड़ सकता है वो आजादी से ना जाने कहां कहां.
हां मडराता है वो जलती शम्मा के ईर्द गिर्द
लेकिन शम्मा के नसीब में उड़ना नहीं सिर्फ जलना
है लिखा.

पंखों के सहारे खिलती है कली बाग में.
फूल बनकर बिखेरती है खूशबू.

पंख वाला है भंवरा.
उड़ सकता है आजादी से वो ना जाने कहां कहां.
हां मंडराता है वो हर खिलती कली के ईर्द गिर्द

लेकिन कली केे नसीब में उड़ना नहीं सिर्फ खिलना है लिखा.
फिर भी ना जाने क्यों लिखनें वालों ने बस कभी
भंवरे तो कभी परवाने की तारीफ़ में ही सब कुछ लिखा.

शिल्पा रोंघे

Thursday, December 28, 2017

दौलत की ख़्वाहिश नहीं

ना दौलत की ख़्वाहिश रखें.
ना शोहरत की चाह रखें.
कोई सिर्फ वफ़ा के बदले वफ़ा
की हसरत रखे.
बदले में अगर उसे ये भी ना मिले तो
कितनी भी सुनहरी हो मोहब्बत
कोई भला क्यों उसे मंज़ूर करें ?
शिल्पा रोंघे

प्रेम को बदनाम ना कर

प्रेम को तो यूं ही बदनाम करते है लोग
प्रेम तो जीवन है, जीवन था और रहेगा.
लालची और स्वार्थी
प्रेम इनके बस की बात नहीं.
हां बस प्रेम का नाम बदनाम करना
इनका काम है यही.
शिल्पा रोंघे

Wednesday, December 27, 2017

सुधार की कैसी चाह

है जुटे हुए कुछ लोग
सुधार में.
है जुटे कुछ लोग आधुनिकता
की दुहाई देकर पंरपराओं को
प्राचीन बताने में.

तो कुछ पंरपराओं की आड़ लेकर
बदलाव को ठुकराने में.

है जुटे हुए कुछ लोग
अपनी ही बात सही मनवाने में.

उनकी इच्छाओं का नहीं कोई
अंत, सिर्फ इसलिए जुटे है वो दूसरों का
हक छीनने में जिसके वो अधिकारी हैं.

सच से लगता है उन्हें डर इसलिए झूठ
का चमकता चोला वो पहने हुए.
तो कभी सफेदपोश के रूप में.

हां जुटे है कुछ लोग अपने ही झूठ
को सच बताने में, और सच को दबाने
में.

शिल्पा रोंघे

खुशियों की चाबी

अपनी  खुशियों की चाबी ज़रा संभालकर रख ऐ दिल.
गुम भी अपने ही हाथों होती है और मिलती भी अपनी
ही कोशिशों से है.

शिल्पा रोंघे 

Tuesday, December 26, 2017

दीवाना था उनका

हां दीवाना था मैं उनका,
यादों में बसा लिया उन्हें,
बस याद नहीं करते उन्हें अब हम,
जब मालूम हुआ यादों में
उनकी हम नहीं कोई और
बसा करते है.
शिल्पा रोंघे

प्रेम को बदनाम ना करो

प्रेम को तो यूं ही बदनाम करते है लोग
प्रेम तो जीवन है, जीवन था और रहेगा.
लालची और स्वार्थी
प्रेम इनके बस की बात नहीं.
हां बस प्रेम का नाम बदनाम करना
इनका काम है यही.
शिल्पा रोंघे

निशब्द प्रेम

निशब्द ही होता है प्रेम तो.
शब्दों की जरूरत नहीं होती
उसे बयां करने के लिए.
चाहे तो उस  ख़ास की आंखों
में जाकर पढ़ लो.
झुके तो समझों प्रेम है.
गर ना झुके तो पूरी किताब पढ़ना
ही व्यर्थ है.
इश्क ए इज़हार मिलती नहीं
एक दूसरे को देखकर झुकती
आंखों से होता हैं.

शिल्पा रोंघे

ना बंधन डाला

ना कोई बंधन डाला
ना कोई सिफ़ारिश की
ना कोई फ़रमाइश की
ना इश्क की नुमाइश की
फिर भी दिल में प्यार की लौ हमेशा
जलाए रखी.

शिल्पा रोंघे

Sunday, December 24, 2017

अपना ध्यान

अपना ध्यान रखना स्वार्थ नहीं है.
हम जब ऐसा करेंगे तभी किसी और का ध्यान रख पाएंगे.

शिल्पा रोंघे

खुशी भी बिना बताएं आती हैं.

जिस तरह नाखुशी बिन बताएं आती है वैसे ही खुशियां भी अचानक ही आती है फरिश्ते के रूप में.

शिल्पा रोंघे

Saturday, December 23, 2017

प्रेम का पंछी

प्रेम का पंछी कोई कैदी
नहीं जिसे रखा जाए
पिंजरें में.

उसे होता है जब प्यार किसी
डाल से तो वहीं वो घरौंदा बना लेता है.

ना गुज़ारिश करनी पड़ती हैै, ना मिन्नत
करनी पड़ती है.

हर डाल के नसीब में होता है एक घरौंदा
और एक पंछी.

जब खेल वक्त और किस्मत का है तो डाल भला
इसकी परवाह क्यों करें ?

शिल्पा रोंघे

मुखौटा

मुखौटे हर बार नज़र नहीं आते हैं.
मुखौटे खरीदे नहीं जाते.
मुखौटे बाज़ार में नहीं मिलते हैं.
मुखौटे इंसान ही लगा लेता हैं.
खुद ही कभी स्वार्थ का, तो कभी
लालच का, तो कभी बेईमानी का
गर नकली हो मुखौटा तो पहचान भी लें कोई,
गर शख़्सियत का हिस्सा ही बन जाए मुखौटा तो
भला कोई उसकी पहचान करें भी तो कैसे.
क्यों ना हम भी खरीद लें कोई मुखौटा
क्यों ना मुखौटे की मुखौटे से ही हो जाए मुलाकात
ना उन्हें शिकायत रहें ना हमें शिकायत रहें.

शिल्पा रोंघे

बचपन से प्यार

फिर मोहब्बत हो गई है तुझसे ऐ मेरे बचपन.
बच्चे रूठने के बाद भी बहुत जल्दी मुस्कुराने लगते है.
💘💘💘💘😄😄😄😄
शिल्पा रोंघे

Wednesday, December 20, 2017

वजूद की तलाश

कोई सीपी ढूंढने जाता है समुंदर किनारेे.
तो कोई मोती ढूंढने जाता है समुंदर किनारे.
कोई जाता है रेत का घर बनाने.
तो कोई जाता है लहरों से बातें करने.
इन सबसे हटकर कुछ लोग जाते है
सिर्फ अपने ही कदमों के निशान ढूंढनें.
ना किसी तलाश में ना किसी खोज में.
ना किसी से शिकवा करने ना किसी से शिकायत.
करने बस अपना ही वजूद तलाशनें के लिए.

शिल्पा रोंघे

Tuesday, December 19, 2017

आदत भूलने की

भूल जाने की आदत यूं तो होती है बुरी
मगर सच मानो ये उतनी बुरी भी नहीं
होती है.
हां भूल जाना भी अच्छा होता है
कभी कभी किसी को,
जब याद  करना किसी दर्द से कम
नहीं होता किसी को.

शिल्पा रोंघे

Monday, December 18, 2017

तजुर्बा

उम्र बढ़ने से कोई समझदार नहीं होता है.
तजुर्बे से बेहतरीन स्कूल कोई भी नहीं है.

शिल्पा रोंघे

बेहतरीन इंसान

काश खाने में चुटकी भर नमक जितना
भी झूठ अगर हम बोल पाते.

तो शायद हम भी एक बेहतरीन इंसान कहलाते.

शिल्पा रोंघे

Sunday, December 17, 2017

बेटी की चाहत

पढ़ी लिखी, सुंदर, सुशील, संस्कारी
कमाने वाली बहू सबको चाहिए.

लेकिन इन्ही गुणों वाली बेटी की चाहत
क्या सभी रखते है.

बेटियों का कम होता अनुपात
तो यही सवाल खड़ा करता है.

शिल्पा रोंघे

Saturday, December 16, 2017

पानी के रंग ढंग अनेक

एक ही पानी के कितने रंग और ढंग है देखो.
खारा है तो समुंदर की लहरें,
फल के अंदर है तो रस है पानी,
बादल बनकर बरसे तो बरसात है पानी,
एक किसान की आस है पानी,
आंसू बनकर बहे जो नमकीन बूंदे
तो ज़ज्बात है पानी.
बुझाये करोड़ों लोगों की प्यास
है वो पानी.
गंगा बनकर करे सबको निर्मल
वो है पानी.
प्यासी जमीं, प्यासे मनुष्य की
प्यास बुझाए वो है पानी.
पानी बिना अधूरी है इस दुनिया की कहानी
जमें तो बर्फ, पिघले तो नदी या सागर है
पानी.
शिल्पा रोंघे

अज़ीब दस्तूर

चल पड़ा है अज़ीब दस्तूर
ये भी अब.
अपने गुनाह छिपानें के लिए
दूसरों की कमियां गिनने में जुटे
है कुछ लोग.
शिल्पा रोंघे

ये रिवाज़ ये प्रथा

येे रिवाज़,
ये प्रथा,
ये भाषा,
ये संस्कार,
उस नदी के समान है
जो मिलते है जाकर सागर में.

नदियों का बहना भी जरूरी है हर
शहर की प्यास बुझाने
और फिर समुंदर में मिलना भी जरूरी है.

हर रिवाज और प्रथा के,
पीछे सिर्फ आस्था और विश्वास जु़ड़ा है.

जो कि जोड़ता है समाज को एक रंग बिरंगीं
मोतीयों से बनीं माला की तरह.

शिल्पा रोंघे

नसीब का खेल

किसी को शौक होता है रिश्ते बदलने का.
तो किसी को शौक होता है निभाने का.
 ये बात चेहरे पढ़कर नहीं
बताई जा सकती, इसका फ़ैसला वक्त
और नसीब ही तय करता है.

शिल्पा रोंघे

Friday, December 15, 2017

एक दीवाने की आपबीती



हम छोड़ चले थे दौलत और शोहरत
शौक सिर्फ
उनके प्यार के लिए.
पता चला वो निकले है इस दौलत
और शोहरत की ही तलाश के लिए.
हमनें भी दुआ में कह दिया उन्हें
जा तुझे हमसे दस गुना बेहतर मिले.
शिल्पा रोंघे

6 इन्द्रियां में एक तुम

वैसे तो काफी है 5 इन्द्रियां ही जीने के लिए.
छठी वाली तुम बन जाओ.
चलो अब दुनिया तुम्हारी नज़रों
से देखेंगे.

शिल्पा रोंघे

सचमुच प्रेम मुर्खता है

सचमुच प्रेम मूर्खता ही है.

जहां लोग अपनी बुद्धिमत्ता खो देते हैं.

अगर वो यहां भी अपनी बुद्धिमता का प्रयोग करते.

तो प्रेम नहीं वो एक व्यवसाय होता.

शिल्पा रोंघे

चांद की कहानी

एक दिन चांद की नज़र चकौर पर पड़ गई.
बस उसी दिन से पूरी दुनिया में उजाला कुछ कम हो गया.
क्योंकि उसका बसेरा चकौर के दिल में हो गया.

💘💘💘💘
शिल्पा रोंघे

Thursday, December 14, 2017

चकोर की ज़ुबां

एक चकोर की जुबां करवाचौथ पर
यूं तो देखता हूं रोज ही में उस चांद को
उसकी लंबी उम्र की दुआ मांगता हूं अक्सर
ही,
वैसे याद करने का कोई दिन तय किया
नहीं.
यूं तो हर रात ही उसकी रोशनी मेरे
चेहरे पर है पड़ती.
यूं तो अलविदा कह जाता है वो शब ढलते ही.
फिर भी ना जाने क्यूं महसूस होती है दिन के उजाले
में भी उसकी परछाई.
क्या वो भी मुझे देख पाता होगा अरबों और करोड़ों की दुनिया में भी.
शिल्पा रोंघे

एक सलाह एक सहेली के लिए

एक सलाह एक सहेली के लिए

रहने दो खुश तुम्हारें बिना भी
उन्हें, गर वो रह सकते हैं.
रहने दो खुश उन्हें गर वो रहते है
किसी और के साथ खुश.
कोई तो होगा ऐसा भी तो जो नहीं
रह सकता होगा खुश बगैर तुम्हारें.
जो तुम्हारें साथ चाहता हो रहना,
उससे बेहतर होगा यही, चुनों तुम उसे जो नहीं रह
सकता बगैर तुम्हारें.

शिल्पा रोंघे

टूटी हुई चीज़ों की कीमत

कई बार टूटी हुई चीज़ भी बेशकीमती होती है.
चमकते हुए सितारे को नहीं
टूटे हुए तारे को देखकर ही
दुआ मांगते है लोग.

शिल्पा रोंघे

वो लड़की

सर्द शाम में.
जमीं बर्फ सी, तो कभी जली अलाव सी.
गर्मियों में कुल्फी सी.
जमीं सी, कभी पिघली सी
बारिश के मौसम में
भीगी बूंद सी,तो कभी ओंस सी.
दिखी मुझे वो लड़की
मिली भी लेकिन घुली नहीं.
लापता सी, गुमशुदा सी
थोड़ी जानी सी थोड़ी अंजानी सी.
नाम बता कर गई .
पर पता बताना भूल गई.
अब तुम ही बताओं कहां ढूंढू
उसे, जिसका अता पता ही
पता नहीं मुझे.
ना जाने कहां है वो
हां मेरे दिल के कोने में आज भी कहीं बसती है वो.
शिल्पा रोंघे



गुलाबी इश्क

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
गुलाब देने वाले से ज्यादा इश्क.
लेने वाला करता है.
देने वाला भूल जाता है.
लेने वाला उसे सालों तक संभालकर रखता है
किसी किताब में.
सूखने के बाद भी.
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
शिल्पा रोंघे

धोखे की फ़ितरत

सांप की फ़ितरत होती है डसना.

शेर की फितरत होती है शिकार करना.

सांप को दूध पिलना और शेर को
खाना खिलाना यानि अपनी जान
जोख़िम में डालना.

धोखा आदत नहीं होता
ये फ़ितरत होता

और जिसकी फ़ितरत में है होता
वो कभी नहीं बदलता.

सावधान  रहने का काम हमारा
ना कि धोखेबाज से धोखा ना
देनें की उम्मीद करना .

शिल्पा रोंघे 

Tuesday, December 12, 2017

कैसा हो साथी

साथी उसे बनाओं जो सुख दुख में साथ दें.
ना कि उसे जो सिर्फ तस्वीरों में आपकी शोभा बढ़ाएं.

शिल्पा रोंघे 

मन की उलझन

सीता स्वयंवर पर उनकी मन की उलझन पर
कैसे मैं पहचानू उन्हें.
कैसे मैं जानूं के वो बनें हैै वो मेरे लिए.
होगी सैकड़ों की भीड़ वहां.
तेजस्वी और वैभवशाली तो होंगे
वहां कई और भी.
लेकिन सुना है मैंनें शिव का धनुष
उठा सकेंगे कुछ ऐसे प्रतापी
होंगे वो मर्यादा पुरूषोत्तम राम ही.
शिल्पा रोंघे

पीपल का वो पत्ता सा प्यार

पीपल का वो पत्ता सा
किताब के पन्नों के बीच
रखा हुआ सूखा सा.
चंदन सा महका हुआ
गले में सांप उसके  लिपटा सा.
पानी सा पारदर्शी
लेकिन बर्फ सा ठंडा और जमा सा.
सुंदर पंखों वाला पंछी
लेकिन पिंजरें में बंद सा
हवा के झौंके सा
जो गुजर गया निकल बाजू से
मिला भी नहीं कोई गिला किया भी नहीं
अनकहे प्यार का किस्सा सा
पूरा भी और अधूरा सा .
शिल्पा रोंघे

दिल की बात

एक दीवानें के दिल की बात
तेरे ख्यालों की चाशनी में डूबा हूं.
हां बस जलेबी सा उलझ गया हूं जिंदगी की आपाधापी
में.
तेरे ख़्यालों से महक गया हूं.
हां बस गुलाब के फूल की तरह कांटों
से घिर गया हूं.
तेरे ख़्यालों की गाड़ी में सवार हूं.
हां बस थोड़ा जाम में फंस गया हूं.
हां थोड़ा खुश तो थोड़ा नाखुश हूं
तुझसे ऐ मेरी जिंदगी.
मतलब इसका ये नहीं कि तुझे भूल गया हूं मैं.
तेरी यादों का ताबीज़ आज भी गले में पहना हुआ
हूं मैं.
शिल्पा रोंघे


तुम्हारी यादें

तुम्हारी यादें बचपन की लोरी सी.

तुम्हारी यादें जवानी की उमंग सी.

तुम्हारी यादें बुढ़ापे की बैसाखी सी.

हां ज़िंदगी के हर पल और हर मोड़
पर साथ चलती कारवां सी.

हां तुम्हारी यादें संजीवनी बूटी सी
जो खो बैंठू होश तो बिल्कुल
दवा सी.

शिल्पा रोंघे

अपना आंकलन

भीड़ को गिनकर कभी अपना आंकलन मत करना.
भीड़ तो वहां भी लगती है जहां कुछ विवाद हो रहा हो.

शिल्पा रोंघे

बात हैरानी की



कुछ इंच के कपड़ें बिकते है लाखों रूपयों में.
चंद रूपयों के कंबल के बिना ठिठुरते है गरीब सड़कों पे.


शिल्पा रोंघे 

Monday, December 11, 2017

दोस्ती का नज़रिया

रंग रूप को देखकर
दोस्ती करने वालों में हम शामिल नहीं.

हां बस दिलों को पढ़ने का हुनर सीख
गया हूं मैं भी.

शिल्पा रोंघे

चीनी जैसा प्रेम

"प्रेम" भी  चीनी की तरह होता
है.

जो कड़वी चाय को मीठा है बनाता.

लेकिन पहले से  मीठी चाय में डालने का नहीं
है कोई फ़ायदा.

शिल्पा रोंघे

Sunday, December 10, 2017

हक की बात

कभी कभी हक छीनने में माहिर होते हैं.
जो करते हैं "हक" देने की बातें.

शिल्पा रोंघे

अकेलेपन की खूबसूरती

हां सचमुच बहुत खूबसूरत होता है अकेलापन भी.
सुना है अक्सर साथ रहकर भी साथ नहीं रहते है लोग.

शिल्पा रोंघे

इश्क में सिफ़ारिश नहीं चलती हैं

सचमुच के इश्क में एक भी रिश्वत नहीं देनी पड़ती.
झूठे इश्क के लिए लाखों सिफ़ारिशे भी कम है.

शिल्पा रोंघे

एक दीवाने की आपबीती

एक दीवाने की आपबीती

बात दौलत और शौहरत की नहीं थी.
ऐसा नहीं कि कोई मुझे तुझसे बेहतर
मिल सकता नहीं.

बस खलेगी बात उम्रभर यही
जिसे समझा था अपना,
उसे दिल तोड़ने का
ज़रा भी पछतावा नहीं.

शिल्पा रोंघे

दोस्ती या दुश्मनी

हम दुआ मांग रहे थे जिसकी सलामती की.
वहीं हमारी तबाहियों का जश्न मना रहा था.

शिल्पा रोंघे

वक्त की कमी का बहाना

वक्त की कमी तो बस
इक बहाना है.
वक्त भी उन्हें देते है,
लोग जिनका वक्त अच्छा चल रहा हो.
बेवफ़ाई के बहानें हज़ार है.
और वफ़ा के लिए
पूरी उम्र ही कम पड़ जाती हैं.
शिल्पा रोंघे 

वक्त की कमी

वक्त की कमी तो बस
इक बहाना है.
वक्त भी उन्हें देते है,
लोग जिनका वक्त अच्छा चल रहा हो.
बेवफ़ाई के बहानें हज़ार है.
और वफ़ा के लिए
पूरी उम्र ही कम पड़ जाती हैं.
शिल्पा रोंघे 


प्यार का रंग होता है बड़ा
पक्का.
ना धुलता है पानी से.
ना उड़ता है वो धूप से.
हां दिनों दिनों दिन
मजबूत होता है वो आपसी
विश्वास से.
शिल्पा रोंघे 

कविता ऑनर किलिंग भाग 2


क्यों तुम सांमती काल से नहीं निकले हो?
क्यों तुम अतीत की गौरव गाथाओं
के गान यूं गाते हो?
क्यों तुम शक्ति और धन का प्रयोग
प्रेम में करते हो  ?
मानव मूल्यों के बिना प्रेम संभव
नहीं.
सम्मान के नाम पर इन मूल्यों की
बलि ना दों.
शिल्पा रोंघे

सम्मोहक

एक पुरूष की ईमानदारी और सत्यवादिता ही स्री के लिए सबसे बड़ा सम्मोहन है.


शिल्पा रोंघे

Saturday, December 9, 2017

सर्दियों का आगमन

सर्द धूप के साथ हो चुकी है शुरू स्वेटरों की बुनाई.
और रज़ाईयों की सिलाई.
हो चुका है ठंड से बाज़ार गर्म अब.
अदरक की खूशबू
से महकने लगी है चाय की दुकाने कुछ ज्यादा ही.
हो चुका है ठंड से बाज़ार गर्म अब.
गज़क और तिल के लड्डूओं
से सजने लगी है दुकानें.
हो चुका है ठंड से बाज़ार गर्म अब.
हरी सब्जियों से
हरियाली सी हुई जा रही है सब्जी मंडियां.
हो चुका ठंड से बाज़ार गर्म अब.
जलने लगे हैं अलाव
सड़कों पर.
आंच के ताप से सुकून पाने लगी है उंगलियां.
हो चुका ठंड से बाज़ार अब गर्म.
कुछ ऐसा मेरे शहर की ठंड का हाल.
जो है सुकून भरी, नहीं करती है बेहाल.
शिल्पा रोंघे

दहेज का लोभ

दहेज नाम का पेड़
उसने अपने दिमाग
में उगा रखा था.
लालच के खारे पानी से
उसे सींचा जा रहा था.
चुभ गए हाथ में कांटे
उसके.

नागफ़नी का पेड़ लगा रखा
था और कल्पना मोगरे
के फूलों की कर रहा था.

शिल्पा रोंघे

पराया धन

क्यों पराया धन कहा गया बेटियों को.
क्यों कहा जाता है कि जाना है तुम्हें पराए घर.
पैदा हुई तो पराई कहलाई.
 ब्याह के गई तो भी पराएं घर.
 तो फिर उसका अपना ठिकाना बचा कहां ?
क्यों बेटियां ही होती है पराया धन
और बेटे नहीं ?
ना जानें किसने ये रीत बनाई.
जिसने भी है ये बनाई उनसे ही काश वो ही बता देते
आखिर कहां मिलता है उसे अपनापन ?

शिल्पा रोंघे



पत्थरदिल बनने की चाह

सीख रहा हूं अब मैं भी हुनर पत्थरदिल बनने का.
बड़े ही जल्दी टूट जाता हैं दिल कांच का.

तब्बसुम का कमाल

तेरे तब्बसुम
ने कमाल कुछ
यूं कर दिया.
मेरी कलम की स्याही का रंग
और भी गाढ़ा कर दिया.
हो तो फिर से मुझे देखकर मुस्कुरा
शिल्पा रोंघे

बाल दिवस पर

लाखों भी मिल जाए तो वो खुशी नहीं होगी.
जो बचपन में चंद सिक्के मिलनें पर हुआ
करती थी.
कभी टॉफी के लिए तो कभी गुब्बारों के
लिए.
जब जुगनू की तरह चमकती थी
आंखे.
जब फूलों की तरह
खिलती थी होंठो पर हंसी.
शिल्पा रोंघे

प्यार का अकुंर

इससे पहले कि दिल में अंकुर
फूटें कोई प्यार का.
हमनें भी दफ़न कर दिया
यादों को  उनकी दिल में ही अपनी.
जब उन्हें नहीं कदर हमारी
तो भला हम भी क्यों करें
फ़िकर उनकी ?
शिल्पा रोंघे 

प्यार पाने का तरीका

कुछ ख़्वाहिशों को दफ़न करना पड़ता है कभी कभी
प्यार पाने के लिए.💘

अक्सर प्यार के फूल ख़्वाहिशों की कब्र पर ही खिला
करते हैं.
🌼🌼🌼🌼🌼
शिल्पा रोंघे

नहीं होता हर शख़्स बेवफ़ा

हर शख़्स बेवफ़ा
नहीं होता है.
कभी कभी
वो दूर हो जाता है
हालात के चलते.
तो कभी ज़माने के दस्तूर के चलते.

तो कभी अपने ही मन में चल रही उलझन के चलते.
तो कभी अपनी ही ज़िंदगी में आए तूफ़ान से
लड़ते लड़ते, थक जाता है वो कभी कभी.
मतलब ना निकालों इसका कि भूल जाता है
वो प्यार को अपने इन हालात से डर के.
हां बस बना लेता है वो कभी कभी दूरी
अपनी चाहत की बेहतरी के लिए.
शिल्पा रोंघे 

मन का झरोखा

खोल दो खिड़कियां मन की अपनी.

ताकि झांक संकू में रूह तक तुम्हारी.

बहुत पढ़ लिया तुम्हारा चेतन मन.

अब है बारी तुम्हारे अवचेतन मन की.

कहते है अक्सर जागे से बेहतर सोया हुआ

मन ही  खोल देता है दिल में छिपा राज़.

शिल्पा रोंघे

कुछ इस तरह भी होता है प्यार

ना जताते है ना बताते है.
हां अक्सर वहीं सबसे ज्यादा प्यार
करते है जो उसे जगजाहिर नहीं करते हैं.

शिल्पा रोंघे

एक दीवानें की आपबीती

एक दीवानें की आपबीती

जो छोड़ कर चले जाते है,
मझधार में लोग इस बात का गम नहीं मुझे.

हां  किनारे पर आते ही
क्यों वापस साथ देने आते है
लोग इस बात की हैरानी है मुझे.
शिल्पा रोंघे

क्या ये प्यार होता है

जब कोई शख़्स आपके बारे में
आपसे ज्यादा जानने लगे.

आपसे ज्यादा आपको समझने लगे.

आपसे ज्यादा आपके बारे में सोचने लगे.

खुद से भी ज्यादा .

तो समझ लों वो आपके
प्यार में है.

शिल्पा रोंघे

प्यार नहीं इश्तेहार

ये प्यार कोई इश्तेहार नहीं है
जो छपे हर अख़बार में.
हां सच है ये भी
अमर प्रेम कहानियां
मिलती है अक्सर
लोक कथाओं में,
तो कभी उपन्यासों में,
तो कभी दीवार पर बनीं इबारतों में
जिस पर बदलते वक्त का असर
भी बेअसर होता है.

शिल्पा रोंघे

नागफ़नी और गुलाब सा प्यार

तेरी बेरूख़ी के नागफ़नी उगे है.
तेरी मेहरबानियों के गुलाब खिले हैं.ना
हमने उन दोनों को अपने दिल के आंगन
में सजा लिया है.
ना तेरी मेहरबानियों की राह देखी.
ना तेरी बेरूख़ियों का शिकवा किया.
बिना फर्क किए सींचती हूं अपने आंखों
से बहे नमकीन पानी से.
नागफ़नी और गुलाब दोनों को.

शिल्पा रोंघे

एक दीवानें की दिल की बात

एक दीवानें की दिल की बात

तेरे ख्यालों से महक जाता हूं मैं.
क्यों इत्र खरीदूं मैं ?

तेरे ख्यालों से ही निखर जाता हूं
क्यों चंदन खरीदूं मैं ?

तेरे ही ख्यालों से तंदुरूस्त हो गया हूं मैं.
फिर क्यों दवा पर खर्च करूं मैं.

तेरे ही ख़्यालों से अमीर हो गया हूं मैं.
तो फिर क्यों दौलत की फ़िक्र करूं मैं.

शिल्पा रोंघे

वक्त का असर

वक्त का असर होगा तेरे चेहरे पर भी
और मेरे पर भी,
हां वक्त की सिलवटे पड़ेंगी तुम्हारे चेहरे पर भी
और मेरे भी.

हां जर्जर(कमज़ोर) होगी कभी तुम्हारी काया और
कभी मेरी भी.

हो ऐसा उससे पहले ही तुम मुझे संभाल लेना
मैं तुम्हें संभाल लूंगी.
जब लड़खड़ाओं तुम और लड़खड़ाउंगी मैं.
तब घबराने की कोई बात ना होगी.
कभी तेरी उंगलियां थामेंगी हाथ मेरा
तो कभी मेरी उंगलियां थामेंगी हाथ तेरा.

शिल्पा रोंघे

मीठी मीठी बातों का असर

तेरी मीठी मीठी बातों ने
अलाव सा काम किया.
सालों से दिल पे जमी बर्फ को
चंद लम्हों में पिघला दिया.
बस डर है इस बात का
दरिया जो बह रहा है इश्क
का.
उसमें दिल डूब ना जाएं कहीं.
शिल्पा रोंघे

नसीब का खेल

अगर सचमुच नसीब किसी को पहले
से पता होता.
तो दुनिया में दिल
टूटने का दस्तूर ही ना
होता.
💘💘💘💘
शिल्पा रोंघे

सफ़ाई की जरूरत नहीं

जो उपरवाले से है डरता उसे सफ़ाई देने की जरूरत नहीं.
जो नहीं मानते है उसे वहीं हर वक्त सफ़ाई देते है अपने गुनाहों की.
शिल्पा रोंघे

चलो कुछ ऐसा करें

चलों कुछ बीज बोकर आते है बंजर ज़मीन में.

चलों कुछ कलम लगा के आते है सूखी हुई टहनी पर.

चलों कुछ सींच के आते है जमीं में गहरी धंसी हुई जड़ों को.

कभी तो लगेंगे फूल वहां पर पारिजात
के.
जो गिरेंगे पेड़ की छाव तलें.
एक दिन
हम भी उन्हें चुन लेंगें
कभी माला गूंथ लेंगे तो कभी गज़रा बना के सजा लेंगे
बालों में अपने.
चलों निकल पड़ते फिर उसी वीरान से बगीचें की
तरफ़.

जिसके पास जाने से कतराते है अब लोग.
हो सकता है कोशिशों से हमारी फिर वहां बहार आ
जाए.

शिल्पा रोंघे

राधा के वचन गोपाल के लिए.

राधा के वचन गोपाल के लिए.

कितनी भी हूं ध्यानमग्न मैं.
तेरे दो बावरे से नैन
और सांवरा सलौना सा रंग ही
काफी मेरा ध्यान बांटनें
के लिए.

शिल्पा रोंघे

दुआ की उम्र

थी जिंदगी बहुत कम उसकी.

किसी ने दुआ में मांग लिया उसे.

कई साल बढ़ गई धरती पर
मुद्दत उसकी.

शिल्पा रोंघे

ढ़ाई आखर प्रेम के

यूं तो बहुत हल्के होते है ढ़ाई आखर प्रेम के.
हां बहुत मुश्किल और भारी महसूस होते है
ये इश्क ए इज़हार में.

शिल्पा रोंघे

नफ़रत भी प्यार है

💔नफ़रतों में भी ना सोचना किसी को यूं.
ज्यादा सोचोगे तो दिल लगा बैठोगे.

यकीं ना आए तो मेरी बात का तो
खुद आज़मा के देख लेना.

कह रहीं हूं झूठ तो
मेरा नाम ही बदल देना.
💘💘💘💘💘💘

शिल्पा रोंघे

पंछी का प्रेम

एक पंछी को पिंजरे से प्यार हो गया.
अब बताओं तुम्ही बिना भरे उड़ान
कैसे चढ़ेगा प्यार परवान.

शिल्पा रोंघे

धोखे की वजह

इसलिए भी धोखा खाते है लोग, जो बिठाते है सिर
आंखों पर,
उन्हें भूल जाते है लोग.💔💔💔💔

जो ठुकराते है उन्हें,
उनकी राहों में फूल बिछाते हैं लोग.
🌼🌼🌼🌼🌼🌼
शिल्पा रोंघे

एक दीवानें की दिल बात

एक दीवानें की दिल बात

क्या तुम ज़माने से डरती हो ?
या मुझ पर यकीं नहीं करती हो?

कभी जाना पर्वत के उस पार
मैं बैठूंगा इस पार.

हो गर एतबार तो तो लेना जोर से मेरा नाम.
आएंगी गूंज कानों तक तो हां समझूंगा.
नहीं आई तो भी खुश हो लूंगा.

हां रोक नहीं सकती मुझे तुम पर्वत तक
आने से और इंतज़ार करने से.

कभी कभी भूले भटके यहां
आ मत जाना शायद
मैं वहां तुम्हें इंतज़ार करते मिलुंगा.

बता रहा हूं अभी से
फिर गिला मत करना.

शिल्पा रोंघे

Friday, December 8, 2017

तुमसे अच्छा चांद है.

तुमसे अच्छा तो चांद है जो बिन बुलाएं ही
रोशनी है देता.

तेरा इंतज़ार है या उम्रकैद की सजा.

जो मिली है मुझे बिना किए ख़ता.

शिल्पा रोंघे

तेरी बेरूख़ी

तेरी बेरूख़ी ने मुझे पत्थर बना डाला.
अब लिखना है इबारत तो पन्नों पर नहीं मुझ पर ही लिख डालों.

शिल्पा रोंघे

इश्क ए इबादत

💘💘💘💘💘
इबादत बना लिया है तुम्हें.
क्या करें आदत छोड़ी जा
सकती है इबादत नहीं.
🌼🌼🌼🌼
शिल्पा रोंघे

कहने का हुनर

कहने का हुनर कभी आया नहीं.
लिख देता हूं कुछ शब्द कागज़ पर.

ये उंगलियां जुबां से
तेज़ और चालाक निकली.

एक जुबां है जो कुछ कहती नहीं.
रोकता हूं कई बार में कलम को अपनी.
मगर ये मेरी सुनती नहीं.

शिल्पा रोंघे

प्यार का अहसास

है तो अदरक के छोटे से टुकड़े सा
तेरा प्यार.

मगर चाय सी राहत देता है दिल को
कड़ी ठंड में भी.

शिल्पा रोंघे

बिना शर्त का प्यार

हमने तुम्हारे प्यार को बिना शर्त मंजूर कर लिया.
लौट गए तेरी चौखट से उसी दिन जब मैंने
दरवाज़े पर लिखी शर्तों को पढ़ लिया.

शिल्पा रोंघे

यकीन की खुशबू

रखो बंद तो खुशबू नहीं देता, खोलकर रख दो कुछ देर तो खूशबू है खो देता.

इत्र की बोतल की तरह हो गया है "यकीन" भी आजकल.

शिल्पा रोंघे

तुम एक पौधा मैं एक बादल

तुम एक "पौधा"

मैं एक "बादल"

सींचूंगा तुम्हें बरसात बनकर

करना मुझे तुम आकर्षित
कभी "पेड़" तो कभी "जंगल" बनकर.
बरसूंगा बूंद बनकर
बुझाउंगा प्यास तुम्हारी "नहर" तो कभी "नदी"बनकर

तुम मेरी राह
देखना.
मैं तुम्हारी देखुंगा.

कभी मैं तुम्हारी
तो कभी तुम मेरी आस बन जाना.

शिल्पा रोंघे

तेरी बातों का ऐतबार कैसे ?

ना जाने क्यों तेरी बातों पे ऐतबार नहीं होता.
सुना है इस दौर में बेवजह कोई किसी को नहीं चाहता.
कभी मिले फुरसत तो
तेरी चाहत का मकसद बता देना.

💖💖💖💖

शिल्पा रोंघे

दिल की उलझन

पड़ जाता  है दिल  उलझन
में कभी कभी.😇

क्या वो सचमुच प्यार में है ?💘
या उसे सिर्फ किसी से हमदर्दी है ?😢

फर्क तो बहुत है इन दोनों शब्दों में.
लेकिन दिल पिघलने को मज़बूर क्यों
कर देते हैं ?
शिल्पा रोंघे

विकास के लिए

विकास के खातिर
अपने आस पास की हरियाली को कांटते और छांटते है.

फिर उसी हरियाली की गोद में समा जाने के
लिए लंबी दूरी तय करते है, मोटा धन खर्च
करते है.

हर रोज धूल और धुएं के साए में जीते है.
फिर चंद छुट्टियों के जरिए तन मन को स्वस्थ करना चाहते है लोग.

लगता है अब इस आपाधापी से जल्द ही सबका मन
उब जाएगा.

करते थे जो गांव से शहर की तरफ पलायन विकास
की तलाश में.

अब शायद वो शहर से गांव का रूख़ भी करने की सोचेंगे सुकून की तलाश में.

शिल्पा रोंघे

खुदा का डर

बड़ी बड़ी बातें और वादें करने का हुनर
मुझमें नहीं.

रहूं परदे के पीछे या परदे के आगे
ज़िंदगी एक सी रखता हूं.

हां बस खुदा से बेहद
डरता हूं.

बस यही राज़ ताउम्र छिपाता
आया हूं.

शिल्पा रोंघे

मीरा के वचन मोहन के लिए

मीरा के वचन मोहन के लिए

भेजा था विष का प्याला
      अमृत बन गया.

भेजा था विषैला सांप
फूलों का हार बन गया.

तेरी ही करामात है ये मोहन
कि कलियुग में भी जी रही हूं.

बिना डरे तेरी भक्ति के गीत
    गा रही हूं.

शिल्पा रोंघे

चिराग बन गया इश्क

तेरे इश्क में मैं चिराग बन गया.
जला तब तुझे रोशनी दे गया.
बुझा तो भी कोई शिकवा नहीं किया.
🎆🎆🎆🎆🎆
शिल्पा रोंघे

सोशल प्राणी का सच

सोशल प्राणी का सच

खुश है कुछ लोग
इंस्टाग्राम, फ़ेसबुक, और ट्विटर
पर अपनी फ़ैन फॉलोइंग को गिनकर.
अपनी निज़ी जिंदगी को सार्वजनिक
कर.
मगर भूल जाते है इस वर्चुअल दुनिया
में खोकर उस पड़ोस को जो सबसे
पहले पूछते है उनका हाल चाल.
वो स्कूल कॉलेज और दफ़्तर के
दोस्त जो बिना बताएं ही जान लेते है
दिल की बात.
उंगलियों पर गिन सकते हो दिल के करीब
रहने वालें दोस्तों को.
अनगिनत चाहने वालों की भीड़
भी बौनी पड़ जाएगी आगे उनके.
शिल्पा रोंघे

गम खुद रखो

अपना गम खुद तक ही रखों.
अक्सर मरहम लगाने के बहाने ही आते है
जले पर नमक छिड़कने वाले.
💘💘💘💘💘
शिल्पा रोंघे

औरत की दुविधा

सचमुच बेहद मुश्किल है एक औरत के लिए
प्रेम और करियर का चुनाव.
गर वो प्रेम के लिए करियर छोड़
दे तब भी पुरूष पर निर्भर नारी का
तमगा पाती है.
कभी बोझ बन जाती है तो कभी अतिरिक्त खर्च के
लिए कोसी जाती है.

गर प्रेम को छोड़कर करियर के पथ पर
जाती है आत्मनिर्भर बनने.
तो भी स्वार्थी तो कभी लापरवाह
कहलाती हैं.

गढ़ी गई परिभाषाएं पुरूषों द्वारा
उस ज़माने में जब वो परदे में रहती थी.
हां आधुनिक युग में भी सोच नहीं है बदली.

शिल्पा रोंघे

सूरज और चांद

सूरज रात में सोता है.
चंदा दिन में सोता है.
पर आसमान का क्या ?
वो सिर्फ नीली चादर
तो कभी काली चादर
ओढ़कर भी जागता रहता हैं.

शिल्पा रोंघे

दिल की कहानी ऐसे लिखना

दिल की कहानी
कुछ ऐसे लिखना
जो तुम्हे वफ़ा दे
उसे नायक बना लेना.
💘💘💘💘💘💘

जो तुम्हे दगा दे
उसे खलनायक
समझ के भूला देना.
😎😎😎😎😎😎

कभी कभी नफ़रतों की
सुंरग से भी गुज़रती है
प्यार की रेल लेकिन
ले जाती है सुखांत की तरफ.
🚋🚋🚋🚋🚋🚋🚋
💘💘💘💘💘💘💘💘💘

शिल्पा रोंघे

संगत

अच्छी संगत मिल जाए
तो सत्संग और प्रवचन
ना भी सुनों तो भी चलेगा.

गर संगत बुरी हो तो
सत्संग और प्रवचन
सुनकर भी कोई फायदा नहीं.

शिल्पा रोंघे

गैरों के लिए

पानी का काम है प्यास बुझाना.

हवा का काम है सांसें देना.

बहते है दोनों ही.

एक जमीं पे,

एक आसमा पें,

मगर गैरों के लिए.

शिल्पा रोंघे

प्यार की कद्र

सोने की कद्र नहीं करते है लोग हीरे की तलाश में.
कीमत तो तब समझते है उसकी जब वो
उसे खो देते है.

जिस तरह खोया हुआ सोना किस्मत से मिलता है.
उसी तरह टूटा हुआ रिश्ता भी मुश्किल से जुड़ता है.

शिल्पा रोंघे

दिल की किताब

मत पढ़ो किसी की दिल की किताब

इतना भी

वो तो जैसी है वैसी रहेगी.

कहीं तुम किताब से ना हो जाओ.

शिल्पा रोंघे

मौसम की तरह

मौसम की बेईमानी तो देखो

कभी भी बदल जाता है.
⛅🌞⛄

बस एक बहार ही है जो खिलती है और फिर मुरझा जाती है.

बदलती कभी भी नहीं.
🌼🌼🌼🌼

शिल्पा रोंघे

सच की तलाश में

अगर  आप सच की तलाश में
            हैं.
         सचमुच
            तब
   आलोचना का डर
            और
     प्रशंसा की चाह
             को
        त्यागना होगा.

         शिल्पा रोंघे

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।