Saturday, November 12, 2016

जो निकलते हैं चंद रुपयों की तलाश

जो निकलते हैं चंद रुपयों की तलाश 
में अक्सर उनके हाथ पूरा खजाना ही 
लग जाता है.
और कभी कभी कई लोग
प्यार की तलाश में पूरी 

दुनिया का चक्कर लगा आते
है और खाली हाथ लौट
आते हैं.

शिल्पा रोंघे

एक यतीम लड़के और यतीम लड़की की हमसफ़र

एक यतीम लड़के और 
यतीम लड़की की हमसफ़र
की तलाश ना जाने 
क्यों नहीं होती थी पूरी 
पूछा तो पता चला 

वो लड़का हमेशा
किसी लड़की में मां
तो लड़की बाप ढूंढती थी.

शिल्पा रोंघे

अच्छा हुआ कि तुमने

अच्छा हुआ कि तुमने मेरा नारियल 
सा कड़ा रूप देखा.
अच्छा हुआ जिसे मैंने नहीं फोड़ा.
अच्छा हुआ जो मेरे दिल 
का नर्म रूप तुमने नहीं देखा 

गर ऐसा होता तो यकीनन
मुझसे प्यार कर बैठते.
पत्थर सा ही रहने दो
मुझे.
फूलों सा नाजूक मुझे
नहीं बनना मुझे.
प्यार की कांटों भरी राह
पर नहीं चलना मुझे.

शिल्पा रोंघे

प्यार अंधा होता है

चलो मान लिया
कि प्यार अंधा
होता है,
पर यूूं भी अंधे ना होना कि
खुद का वजूद 
आईने में देखने से
झिझकने लगो
तुम.
शिल्पा रोंघे

कविता :| प्यार में उंच नीच नहीं देखते है.


सिड्रेंला और लैला
में बहस एक दिन
जमकर हुई 

लैला सिड्रेंला
की किस्मत को
बेहतर बता गई
सिड्रेंला को लैला
ने कहा देखो
फर्श से तू अर्श
पर पहुंच
गई
मैं महलों की रानी
होकर अकेली ही रह गई.
कुछ इस तरह वो फ़कीरी
को वो अमीरी से बेहतर
बता गई
और कह गई प्यार में
उंच और नीच
की बात गलती से भी ना करना
कभी.

शिल्पा रोंघे

कभी कभी होता है यूं भी

कभी कभी होता है यूं भी
होते है जिनके दूर हम
वो आंखों से ही पढ़ लेते
है दिल के राज.
होते है जिनके सबसे
करीब हम
वो ही होते है
हमसे सबसे
ज्यादा अंजान
शिल्पा रोंघे

ईमारत बनाने से ज्यादा तोड़ने में मेहनत लगती है

ना जाने क्यों लोगों
को नीचा दिखाने में रहते है
लोग
भूल जाते है वो ये शायद
कि ईमारत बनाने से ज्यादा
तोड़ने में मेहनत लगती है
शिल्पा रोंघे

Thursday, November 3, 2016

अक्सर वफ़ा के बदले बेवफ़ाई मिलती है.

सुना है हमने अक्सर 
वफ़ा के बदले
बेवफ़ाई मिलती है.
पर यकीन
मानों मेरा तुम
बेवफ़ाई के बदले
उससे दुगनी
बेवफ़ाई हाथ आती है.

शिल्पा रोंघे

Wednesday, November 2, 2016

कभी कभी ना कुछ कहने

कभी कभी ना कुछ कहने
का मन करता है 
ना कुछ लिखने का मन 
करता है
पर तय है 

जब चीरे लगेंगे
दिल पे
तो होगा कुछ यूं
कि उस लहू की स्याही
से पूरी किताब ही
लिखी जाए
जिसमें हो बातें
कुछ अनकही 

शिल्पा रोंघे

दिल्लगी भी ना किया करो हमसे

दिल्लगी भी ना किया करो हमसे 
हर बात दिल से लगा बैठते है.
कभी कभी इश्कबाजी को
भी सच्ची मोहब्बत समझ 
बैठते है.

अपने नहीं तो कम से कम
मेरे नाजुक दिल का तो ख्याल
किया करो.
इश्क के दरिया को पार करने में
हो भले ही माहिर हो तुम
लिए हमें यू
मझधार में छोड़कर ना
जाया करों.

शिल्पा रोंघे

Monday, October 31, 2016

बस इक पन्ने में मत समेटों मुझे.

बस इक पन्ने में मत समेटों 
मुझे.
क्यों ना अपनी जिंदगी की 
किताब बना ही लो मुझे
जिसकी शुरुआत

भी मैं हूं
और अंत भी.

शिल्पा रोंघे

चित भी मेरी पट

चित भी मेरी पट भी मेरी की सोच रखने वाले कभी प्यार नहीं
कर सकते कारोबार जरूर कर सकते है
रिश्तों के मामलों में अक्सर खाली
हाथ लौटते है.
शिल्पा रोंघे

गर समझते हो मजबूर मुझे

गर समझते हो 
मजबूर मुझे 
गर समझते 
हो बोझ मुझे 
अगर और मगर 

की हो गुंजाइश
तो वो प्यार नहीं
अहसान है
हो सके तो
इसके बोझ तले
ना दबाओ मुझे
गर हूं आखरी
और पहली
ख्वाहिश तुम्हारी
सिर्फ तभी
सपनों से हकीकत
की दुनिया में उतारों
मुझे.

शिल्पा रोंघे

मिलना नहीं है चकोर को चाँद से कभी

मिलना नहीं है चकोर
को चाँद से कभी
बस ताकते रहना है.
परवाने की 
किस्मत में शम्मा
की लौ को बस
ताकते रहना है.
मिलना नहीं है
जानते है सब
बस दीदार ही
जीने का बहाना
है.
चलों साथ का
नहीं
तो एक झलक पाना ही
अब लगने लगा सुहाना है.
शिल्पा रोंघे

हाड़ मांस की काया को रखकर

हाड़ मांस की
काया को रखकर
परे क्या तुमने
एक स्त्री का
मन है पढ़ा
गर नहीं पढ़ा
तो तुम सबसे बड़ी
चूक कर गए.
अंग रंग में
उलझकर
तुम सबसे बड़ी
भूल कर गए.
क्या बिन पन्ने पलटे
आवरण से ही किताब
पढ़ पाया है कोई
इस हाड़ मांस के फेर
में आत्मा को रखकर
परे कैसे तुम कह गए कि
एक स्त्री को पूरी तरह
जान गए.
सचमुच तुम ये कैसी
भूल कर गए.
शिल्पा रोंघे

सुना है आसमान में बैठे चांद

सुना है आसमान में बैठे चांद
और सितारे करते है
तय जमीं पर बैठे
दो दिलों का मिलना
और बिछड़ना 
फिर क्यों कहते है
ना जाने लोग
कि प्यार अंधा होता है
जबकि सब कुछ उस
उपरवाले की मर्ज़ी
से तय होता हैं.
जो देख नहीं सकती
दुनिया वो सबसे पहले
महसूस उसे ही होता है.
शिल्पा रोंघे

धूप भी जिंदगी की तरह है

धूप भी जिंदगी की तरह है हमेशा
एक सी नहीं रहती है.
सर्दियों में सुहानी
लगती है.
तो बारिश में 
नमी को है दूर
भगाती.
फिर गर्मी में
लू के साथ घुल मिलकर
जिस्मों जान है जलाती
लेकिन बात है ये पक्की
हमेशा एक सी ये दोनों
नहीं रहती है.
कभी राहत तो कभी थकावट ये है देती.
शिल्पा रोंघे

ये इश्क भी अजीब है

ये इश्क भी अजीब है
मिल जाए तो
कोई मोल नहीं
गर ना मिले तो
उससे बेशकीमती 
कुछ भी नहीं.
जान भी चली
जाए तो भी कीमत
ना चुका पाए कोई.
शिल्पा रोंघे

कईयों ने मांगा होगा

कईयों ने मांगा होगा
दुआ में उसे
शायद इसीलिए वो
अकेला होगा.
उसका जरूरत 
से ज्यादा अच्छा
होना भी इसकी
वजह होगा.
ना सोचो कि उसमें
कोई ऐब होगा.
शिल्पा रोंघे

अपने जैसा

मुझे अपने जैसा बनाने की 
कोशिश ना कर
नदी के दो किनारे
बनने से अच्छा
है तुम समुंदर और 

मैं नदी बनूं
ताकि बेझिझक
तुम मुझमें
और मैं
तुममे मिलूं

शिल्पा रोंघे

वक्त के पंजों से

कहते है जो ये कि वक्त 
के पंजों से बचा
लेंगे तुम्हें
वहीं सबसे बड़े
शिकारी होते हैं.

शिल्पा रोंघे

रोने के हज़ार बहाने

कोई रोने के हज़ार बहाने 
दे जाए चाहे 
लेकिन ये दिल हंसना 
भूलता ही नहीं 
क्या करे गम पीने 

की आदत सी बन गई
है और लोग सोचते है
कि हमसा बेपरवाह
कोई नहीं. 

शिल्पा रोंघे

सच को पैसों के तराजू में ना तौलो

सच को पैसों के तराजू 
में ना तौलों 
कभी कभी झूठ
भी बहुत महंगा 
बिकता है

और सच
ना जाने कहां
दफ़न होकर
रह जाता
है.

शिल्पा रोंघे

इज़हार कर मुकर जाओ

ना जाने प्यार जैसे
ज़ज्बाती शब्द
को यूं हल्के
में कैसे ले लेते
है लोग 
जब चाहे
इज़हार कर
दो
और जब निभाने
की बारी आए तो
साफ़ मुकर जाओ
शिल्पा रोंघे

Sunday, October 9, 2016

रिश्तों में दूरी

ख़ास से सब में शुमार हो जाओं गर
आप से तुम बन जाओं गर
तब समझ लेना
कि रिश्तों में दूरी नहीं
दरार आ गई हैं

शिल्पा रोंघे

जिंदगी की वसीयत

जिंदगी की वसीयत
पढ़ने से पहले ये
जरूर याद रखना
गर गम ना बांट
सके किसी का
तो उसकी खुशी
में भी अपना हिस्सा
मत मांगना.

शिल्पा रोंघे

बच्चा है दिल बच्चा ही रहने दो

बच्चा है दिल बच्चा ही रहने दो
कैरी की खटास ही भाती है मुझे
कच्चे है अक्ल के कच्चे ही
रहने दों.
पके हुए आम सा नहीं
बनना है मुझे
क्योंकि पकने के बाद
ही गलने की शुरूआत होती
है.

शिल्पा रोंघे

चित भी मेरी पट भी

चित भी मेरी पट भी मेरी की सोच रखने वाले कभी प्यार नहीं
कर सकते कारोबार जरूर कर सकते है
रिश्तों के मामलों में अक्सर खाली
हाथ लौटते है.
शिल्पा रोंघे

एक खूबसूरत झूठ

एक खूबसूरत झूठ
से
बदसूरत सच्चाई हमेशा
अच्छी होती है.
गलतफ़हमी पालने से
बेहतर दो पल का
कड़वा घूट पीना हैं.

शिल्पा रोंघे

Friday, October 7, 2016

जिंदगी की किताब बना ही लो मुझे

बस इक पन्ने में मत समेटों
मुझे.
क्यों ना अपनी जिंदगी की
किताब बना ही लो मुझे
जिसकी शुरुआत
भी मैं हूं
और अंत भी.
शिल्पा रोंघे

Monday, September 19, 2016

कविता- तेजाब

मेरा नहीं तो 
किसी का नहीं
सोच के यहीं
उस तेजाब ने
मोहब्बत के
जूनून की
काली छाप
छोड़कर
झूठे
गुरुर की
आग
ठंडी कर दी
भूल गया था
वो शायद
अपने वजूद
को ही
जो मोहब्बत
की ही निशानी था.
नफ़रत तो मौत
से भी बद्तर
निशान दिल
पर है छोड़ती
शिल्पा रोंघे

दिल की बाजी

ना खेल ज़ज्बातों से किसी के 
इतना भी 
ये शतरंज का खेल नहीं
रिश्तें हैं.
दिल की बाजी दिमाग 

से तेजी से पलटती हैं
कहीं किसी दिन
चाल चलते चलते
खुद ही मोहरा
ना बन जाओ
तुम कहीं.

शिल्पा रोंघे

Tuesday, August 30, 2016

नामुमिकन काम

कहते है सभी इश्क दो जुदा दिलों
को जोड़ने का काम करता है.
पर कभी कभी ये 
दो दिलों को तोड़ने 
की ख़ता भी कर जाता है
जैसे दवा सही हो तो
जान बचा लेती है
गर हो गलत
तो जान भी ले लेती है.
उपरवाले की बेरुखी
और मेहरबानी
के खेल 
को जान 
पाना सचमुच नामुमिकन 
काम है
शिल्पा रोंघे

Sunday, August 28, 2016

वादों की क्या औकात.

ना करना कभी वादों पर जरूरत से ज्यादा ऐतबार
जब पाक किताबों पर रखकर हाथ झूठी
कसमें खा लेते है लोग. 
तो फिर वादों की क्या औकात.

शिल्पा रोंघे.

Tuesday, August 23, 2016

लगता है यूं भी कभी कभी

लगता है यूं भी कभी कभी
इस दुनिया में ज़ज्बात
धुआं बनकर उड़ गए है.
शायद आसूंओं के जो
थे दरिया आंखों में वो सूख
गए है अभी
थोड़ा तुम और थोड़ा
हम शायद पत्थर दिल
बन गए है.
चलों यूं करते है
रख देते है
इन्हे अपनी हथेली
पर एक साथ
कभी
फिर देखेंगे
होता है
क्या भड़केगी
नफ़रत की चिंगारी
या
फिर जल उठेगा
प्यार का दिया
गलती से कभी
चलोें छोड़
देते है अंजाम
होगा क्या
दो दिलों पर
ही
और चुप रहते है
हम दोनों अभी.
शिल्पा रोंघे

Wednesday, August 10, 2016

तुम से मिलकर





एक पल लिए भी तुम से मिलकर जो 
मर भी जाते तो जैसे सौ साल 
जी जाते 
दिल तो सब जानता है 
कि इक इक पल भी लगते है 

भारी ऐसे जैसे सौ साल है गुजारे
बोझ सी जिंदगी कटती नहीं बिन तुम्हारे
सौ साल की जिंदगी नहीं
चाहते है हम
बस काश कुछ पल गुजार लेते हम साथ तुम्हारे
तो उन पलों में ही सौ साल पूरे हो
जाते हमारे 

शिल्पा रोंघे.

Tuesday, August 9, 2016

धोखे की नींव

धोखे की नींव पर बने रिश्ते
जैसे बिना बुनियाद का मकान
हल्का सा हवा का झोका भी
कर दे जिसका काम तमाम
भरोसे की नींव पर बने रिश्ते
जैसे समुंदर में चट्टान
जिससे टकराकर लौट जाते
ना जाने कितने तुफान 

शिल्पा रोंघे

सच कहती हूं

Time Heals All Wounds, Consolation, Encourage

तुमको लगता है कि मैंने तुम्हे आसानी से भूला दिया
पर सच कहती हूं इतना मुश्किल काम
मैने कभी नहीं किया 

शिल्पा

Tuesday, August 2, 2016


Clock, Time, Face, Yellow, Way Of Thinking, Way Of Life


कभी कभी वक्त ऐसा होता है
कि दिल का दर्द बांटने के 
बजाएं छिपा लेना ही 
बेहतर होता है.
क्योंकि होता है जब ये बयां
तो हमदर्द को बेवजह का दर्द 
और बेदर्द को मुफ़्त 
में हंसने का मुद्दा दे जाता है
शिल्पा रोंघे

Thursday, July 28, 2016

बहुत हुआ बड़प्पन


बहुत हुआ बड़प्पन
चलो फिर से बचपन के आंगन में खेलते है
चलो फिर से कुछ यादों के पापड़ बेलते है.

चलो कहीं पेड़ के नीचे पड़े बेर बिना धोए
ही खाते है.

मुन्डेर पर बैठे कौए देखोें कैसे मेहमानों
के आने का संदेशा देते है
चलो उसकी कांव कांव को
समझने की कोशिश करते है.

चलो पड़ोसी के घर टंगे पिंजरे के
ईर्द गिर्द घूमते है.
देखो कैसे वो नकलची तोते
हमारी बोली दोहराने की कोशिश
करते है.

चलो फिर धूल भरे मैदानों में
दौ़ड़ते और गिरते है.
मटमैले से होकर घर लौटते है

देखते है क्या होता है फिर
हम डांट खाएंगे या
हंसी के पात्र बन जाएंगे
शिल्पा रोंघे

Friday, July 22, 2016

मैं तुम बनकर जी लूं




अपने सीने पे 
रखा बोझ हो 
सके तो मुझे
दे दोे.
ये पत्थर सा दिल
मेरे दिल से बदल लों.
नाजुक से दिल
के साथ जिया नहीं
जाता.
कभी तुम भी मैं बनकर जी लों.
और मैं तुम बनकर जी लूं.
शिल्पा रोंघे

Saturday, July 16, 2016

सफाई देना जरुरी नहीं

हर बार सच्चाई की सफाई देना जरुरी नहीं
कभी कभी सही वक्त सब कुछ
साफ कर देता है
अपने आप ही
सूरज को ढकने
की कोशिश करता है
बादल हर कभी
लेकिन उसे रोशनी देने
से रोक सका है
क्या वो कभी.
शिल्पा रोंघे

Friday, July 15, 2016

हर ख़ामोश गुनाहगार नहीं

हर ख़ामोश गुनाहगार नहीं
Alone, Ghost, Boy, City Lights, Landscape
उसकी ख़ामोशी को उसके गुनाह का कबूलनामा
समझ बैठे लोग
कूच किया उसने दुनिया से जब
तब वो समझे
कि जो था हमदर्दी के काबिल
उसे गुनाहगार समझने की
भूल कर खुद ही
गुनाह कर बैठे लोग.
शिल्पा रोंघे

Tuesday, July 12, 2016

शिव मेरे स्वप्न में आते है




इन दिनों सखी शिव मेरे स्वप्न में आते है
है भभूत लगाए.
कंठ में विषधारी सर्प है सजाएं
मस्तक पे चंद्र लगाएं.
वो त्रिशूलधारी
इंद्रधनुषी दुनिया से दूर
हिमालय में अपना वास रमाए
फिर भी ना जाने क्यों वो
बैरागी ही मुझे भाएं.
वैसे तो सखियां रहती है
राम को अपने मन में रमाएं
किन्तु जग की मर्यादा और
हित के फेर में छोड़ना ना पड़े साथ
तुम्हे हमारा
ये भय दिन रात सताएं
यूं तो अपनी लीला से गोपाल हर गोपी
के दिल में है समाएं
किन्तु स्त्री संरक्षण के फेर
में कहीं हो ना जाएं प्रेम का बंटावारा
तुम्हारा हमसे
इस शंका में दिन रात ये
मन डूबा जाए.
यूं तो जटाधारी,
लीलाधर, और मर्यादा पुरुषोत्तम
तीनों को ही मैनें अपनी
श्रद्धा के फूुल चढ़ाएं
किन्तु बात जब जीवन भर
के साथ की आएं तो
ना जाने क्यों सखी शिव ही
मुझे भाएं.
शिल्पा रोंघे

Friday, July 8, 2016

झूठे रिश्तों की नाव

ना जाने कैसे झूठे रिश्तों की नाव
बना लेते है लोग.
फिर उसे मतलब के ज़ज्बातों पर बहा
लेते है लोग.

ना जाने कैसे जाली नोटों
सा बनकर बेशकीमती
जिंदगी को यूं ही
चला लेते है लोग
शिल्पा रोंघे

Monday, June 13, 2016

महिला दिवस पर





महिला दिवस पर- 
हरदम आंसू टपके जरूरी नहीं 
कभी कभी अंदर ही अंदर रिसती भी हूं 
मैं
भावना की तपन से तपती 
भी हूं मैं
जिसकी आंच दिल में ही रखकर
मुस्कुराती हूं मैं
शिल्पा रोंघे.

Friday, June 3, 2016

यादें


















जाने वाले तो चले जाते है
और यादें छोड़ जाते है
जिनका कोई करे भी तो क्या 
जो कभी डायरी में सूखते गुलाब
तो कभी पुरानी 

तस्वीर
तो कभी आसमान में टिमटिमाते
तारें
की तरह किसी बिछड़े के आसपास
होने का अहसास दिलाती है
जो ना उनसे मिलने के काम
आती है ना ही भूलने देती है

शिल्पा रोंघे

काश मैं तुमसे रूबरू हो पाती

बार- बार चोट खाते
है
गिरते है और लड़खड़ाते
है फिर भी कदम
उन गलियों
की तरफ
मुड़ जाते है
जहां कभी
रहता था तू

वो पुरानी
मीनार तो
चुपचाप
खड़ी है

काली चाक
से गुदा
था जिस
दीवार पे तूने
मेरा नाम वो
तेरी दीवानगी
की गवाही
दे रही है...

वो शहर का
बागान
जहां
तूने जो लगाई
थी
गुलाब की
कलम
वो फूलों से
सजी डाली
बन चुकी है..

जिस मंदिर
की दीवार
पर बांधा
था जो धागा
उसका रंग
कब का उड़
चुका है
लेकिन तेरी
मन्नत की
निशानी बन
गया है
जो मांगी
थी तूने
कभी मुझे
पाने के लिए....

समंदर किनारे
जो बनाया था रेत का
महल तूने जो
मेरे लिए
वो कब का
ढ़ह चुका
है....
पर लहरे
भी चुप कहा
रहने वाली थी
मेरे पैरो से
टकरा रही
थी

कह रही थी
महल तो
अब रहा नहीं
पर शायद
वो रेत अब
भी थी
पानी में घुली
हुई ...
शायद मेरे
पैरे को छूने
की कोशिश
कर थी रही

बरगद के पेड़
पर जो
लगाए
थे सावन
में जो झूले

उस पर आज
हम अकेले ही
झूले...

दुनिया की
नज़र से
बचाने के
लिए
डाला था
ताबीज
तूने मेरे
गले में
वो अब
काला
पड़ चुका
है
जिसे रखे
हुए है
हम अब
तक संभाले..

मेरी घनी
चोटी
में लगाया
था
जो गजरा
तूने कभी
वो सूख
चुका है
पर पुरानी
डायरी में
मैनें बंद
करके रखा है

जब पलटती हूं
पन्नों को तो
तेरे प्यार की
खुशबू अब
भी महसूस
करती हूं.....

तुम तो भूल
गए हो शायद
पर इसे तेरी
मजबूरी कहूं
या बेरुखी
कहूं
समझ नहीं पाती

शायद
इन निशानियों
के बहाने ही सही
काश मैं तुमसे
रूबरू हो पाती
शिल्पा रोंघे


जाने कैसे दिखते होंगे तुम


करते है याद जब
बचपन के वो
दिन तो सोचते
है
जाने कैसे दिखते 
होंगे तुम .......
रोज स्कूल
से आते
वक्त
मेरे घर
के सामने
से गुजरते
थे तुम
घर की
खिड़की
के तरफ़
ताकते
थे तुम
और
परदे की
ओट के
पीछे
छुपते
थे
हम......
सोचते
है हम
अब कैसे
दिखते
होंगे तुम.....
इक बार
गलती
से तुम्हारी
क्लास
में चले
गए थे हम
कोरे कागज़
पर इक
तस्वीर
बना रहें
थे तुम
शायद
कुछ छिपा
रहे थे
तुम
पर जानत है
तस्वीर
में गुड़िया
नहीं
शायद
छुपे
थे हम......
सोचते
है अब हम
कैसे
दिखते
होंगे
तुम......
खेल के
मैदान में
खड़े थे
तुम
पेड़
से चुरा
कर बेर
हाथों में
हमारे
थमा
गए थे
तुम....
शायद
कुछ
कहना
चाहते
थे तुम....
बज गई थी
इंटरवल
की बेल
इसलिए
निकल लिए
हम
पर शायद
कुछ
कहना
चाहते
थे
तुम
मेरे
शहर
को तो
छोड़
गए तुम
पर सोचते
है हम
जाने कैसे
दिखते
होंगे
तुम 

शिल्पा रोंघे

ज़माने की फ़िकर

Tie, Necktie, Adjust, Adjusting, Man, Business
कत्ल कर देती है ज़माने की
फ़िकर बिन हथियार के ही
तू भी बना ले ढाल
ए बंदे खुद पर भरोसे की
शिल्पा रोंघे

दिल के दरिया में उफान

जब रास्ते पक्के थे तब मंजिले लापता थी
जब मंजिल का पता चला तो रास्ते गढ्ढों से भर चुके थे
अब यही सोचते है हम
कि पुराने दौर को याद रखे
या आज के हालात को कोसते रहे हम
ये तो हैै बड़ी उलझन
कभी हवा की गैरमौजूदगी महसूस कराती है घुटन
तो सोचते है ये हवा भी अब किस काम की
जो बनके 
तूफ़ान  ना ला दे दिल के दरिया में उफान.
शिल्पा रोंघे

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।