कोई रोने के हज़ार बहाने
दे जाए चाहे
लेकिन ये दिल हंसना
भूलता ही नहीं
क्या करे गम पीने
की आदत सी बन गई
है और लोग सोचते है
कि हमसा बेपरवाह
कोई नहीं.
शिल्पा रोंघे
दे जाए चाहे
लेकिन ये दिल हंसना
भूलता ही नहीं
क्या करे गम पीने
की आदत सी बन गई
है और लोग सोचते है
कि हमसा बेपरवाह
कोई नहीं.
शिल्पा रोंघे
No comments:
Post a Comment