Sunday, September 30, 2018

सोच रही हूं

सोच रही हूं तुम्हें सोच में लाना बंद कर दूं.
कहीं खुद को ही ना भूल जाऊं मैं तुम्हें याद करते करते.

शिल्पा रोंघे

नए पत्तों के आने का वक्त

क्यों गम मनाना गिरते पत्तों का.
ये तो आगाज़ है नए पत्तों के आने का.

शिल्पा रोंघे

Friday, September 28, 2018

पंछी की कहानी

हूं बेजुबां तो क्या
है लफ़्ज मुझमें भी बाकी.

तारीख़ देखने की मुझे
क्या ज़रूरत रंग बदलते,
झड़ते, नए आते पत्तों को
देखकर मौसम का अंदाज़ा
लगाना है काफी.

शिल्पा रोंघे


Thursday, September 27, 2018

चुभन से कैसा डर

चुभन के डर से माली ने
फूल किसी और बाग से चुन लिया.
भूल गया वो शायद
ख़ुशबू और ख़ूबसूरती
हमेशा कांटों से होती घिरी.
क्योंकि मुश्किल चीज़े
आसानी से नहीं मिलती.

शिल्पा रोंघे 

Tuesday, September 25, 2018

दौलत भी कमाल करती है


ये दौलत 💰भी कमाल की चीज़ है.
जो ना हो तो इंसान रिश्तों💓 के लिए
दुआ मांगता है, हो तो उन्हीं रिश्तों 💔
को भूल जाता है.✨
शिल्पा रोंघे

Monday, September 24, 2018

चांद की कहानी बालमन की ज़ुबानी-कविता

चांद की कहानी बालमन की ज़ुबानी-कविता

चलते है हम जब जमीं पे तब
वो क्या हमारे साथ चलता है ?

कभी आधा होकर फिर पूरा
और पूरा होकर आधा कैसे
हो जाता है ?

क्या वो दिन में सोता
और रातभर जागता रहता है ?

क्या वो सचमुच हमारा मामा होता है ?

बाल मन कहां विज्ञान और तकनीक की
समझता है.

वो तो बस लोरियों और
कहानियों पर ही यकीं करता हैं.

शिल्पा रोंघे

Saturday, September 22, 2018

वो जो लोग....

भारी भरकम काम करते है,
चुस्ती फुर्ती से भर जाना चाहते है.

बारिश की बूंदों में भीग जाते है,
पकौड़ों का मज़ा और बढ़ना चाहते है.


सर्दियों में हल्दी और अदरक संगम चाहते है,
ठिठुरन से निजात पाना चाहते है.

कभी कभी यूं ही गुफ़्तगु करना चाहते है,
माहौल को ख़ुशनुमा बनाना चाहते है.

वो जो लोग सुख और दुख 
साथ साथ बांटना चाहते है,

वो लोग चाय की चुस्कियों 
को ही अमृत समझते है.

शिल्पा रोंघे




Friday, September 14, 2018

हिंदी दिवस पर

हिंदी दिवस पर

बोलना,
लिखना,
सीखना
चाहे भाषा अनेक,
लेकिन
गर्व करना,
सम्मान करना,
राष्ट्रभाषा हिंदी का
सदैव.

शिल्पा रोंघे

Sunday, September 2, 2018

रिश्तों का रंग

होली के रंगो की तरह हो गए है रिश्ते भी आजकल, जितने जल्दी गहरा रंग चढ़ता है उतरता भी उतने ही तेजी से है. शिल्पा रोंघे

जान पहचान से अच्छा है अंजान बनना

अजनबी ही बनकर रहे तो अच्छा है.
जान पहचान बढ़ाकर एक दूजे से
अंजान बनने से.

शिल्पा रोंघे 

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।