Monday, June 13, 2016

महिला दिवस पर





महिला दिवस पर- 
हरदम आंसू टपके जरूरी नहीं 
कभी कभी अंदर ही अंदर रिसती भी हूं 
मैं
भावना की तपन से तपती 
भी हूं मैं
जिसकी आंच दिल में ही रखकर
मुस्कुराती हूं मैं
शिल्पा रोंघे.

Friday, June 3, 2016

यादें


















जाने वाले तो चले जाते है
और यादें छोड़ जाते है
जिनका कोई करे भी तो क्या 
जो कभी डायरी में सूखते गुलाब
तो कभी पुरानी 

तस्वीर
तो कभी आसमान में टिमटिमाते
तारें
की तरह किसी बिछड़े के आसपास
होने का अहसास दिलाती है
जो ना उनसे मिलने के काम
आती है ना ही भूलने देती है

शिल्पा रोंघे

काश मैं तुमसे रूबरू हो पाती

बार- बार चोट खाते
है
गिरते है और लड़खड़ाते
है फिर भी कदम
उन गलियों
की तरफ
मुड़ जाते है
जहां कभी
रहता था तू

वो पुरानी
मीनार तो
चुपचाप
खड़ी है

काली चाक
से गुदा
था जिस
दीवार पे तूने
मेरा नाम वो
तेरी दीवानगी
की गवाही
दे रही है...

वो शहर का
बागान
जहां
तूने जो लगाई
थी
गुलाब की
कलम
वो फूलों से
सजी डाली
बन चुकी है..

जिस मंदिर
की दीवार
पर बांधा
था जो धागा
उसका रंग
कब का उड़
चुका है
लेकिन तेरी
मन्नत की
निशानी बन
गया है
जो मांगी
थी तूने
कभी मुझे
पाने के लिए....

समंदर किनारे
जो बनाया था रेत का
महल तूने जो
मेरे लिए
वो कब का
ढ़ह चुका
है....
पर लहरे
भी चुप कहा
रहने वाली थी
मेरे पैरो से
टकरा रही
थी

कह रही थी
महल तो
अब रहा नहीं
पर शायद
वो रेत अब
भी थी
पानी में घुली
हुई ...
शायद मेरे
पैरे को छूने
की कोशिश
कर थी रही

बरगद के पेड़
पर जो
लगाए
थे सावन
में जो झूले

उस पर आज
हम अकेले ही
झूले...

दुनिया की
नज़र से
बचाने के
लिए
डाला था
ताबीज
तूने मेरे
गले में
वो अब
काला
पड़ चुका
है
जिसे रखे
हुए है
हम अब
तक संभाले..

मेरी घनी
चोटी
में लगाया
था
जो गजरा
तूने कभी
वो सूख
चुका है
पर पुरानी
डायरी में
मैनें बंद
करके रखा है

जब पलटती हूं
पन्नों को तो
तेरे प्यार की
खुशबू अब
भी महसूस
करती हूं.....

तुम तो भूल
गए हो शायद
पर इसे तेरी
मजबूरी कहूं
या बेरुखी
कहूं
समझ नहीं पाती

शायद
इन निशानियों
के बहाने ही सही
काश मैं तुमसे
रूबरू हो पाती
शिल्पा रोंघे


जाने कैसे दिखते होंगे तुम


करते है याद जब
बचपन के वो
दिन तो सोचते
है
जाने कैसे दिखते 
होंगे तुम .......
रोज स्कूल
से आते
वक्त
मेरे घर
के सामने
से गुजरते
थे तुम
घर की
खिड़की
के तरफ़
ताकते
थे तुम
और
परदे की
ओट के
पीछे
छुपते
थे
हम......
सोचते
है हम
अब कैसे
दिखते
होंगे तुम.....
इक बार
गलती
से तुम्हारी
क्लास
में चले
गए थे हम
कोरे कागज़
पर इक
तस्वीर
बना रहें
थे तुम
शायद
कुछ छिपा
रहे थे
तुम
पर जानत है
तस्वीर
में गुड़िया
नहीं
शायद
छुपे
थे हम......
सोचते
है अब हम
कैसे
दिखते
होंगे
तुम......
खेल के
मैदान में
खड़े थे
तुम
पेड़
से चुरा
कर बेर
हाथों में
हमारे
थमा
गए थे
तुम....
शायद
कुछ
कहना
चाहते
थे तुम....
बज गई थी
इंटरवल
की बेल
इसलिए
निकल लिए
हम
पर शायद
कुछ
कहना
चाहते
थे
तुम
मेरे
शहर
को तो
छोड़
गए तुम
पर सोचते
है हम
जाने कैसे
दिखते
होंगे
तुम 

शिल्पा रोंघे

ज़माने की फ़िकर

Tie, Necktie, Adjust, Adjusting, Man, Business
कत्ल कर देती है ज़माने की
फ़िकर बिन हथियार के ही
तू भी बना ले ढाल
ए बंदे खुद पर भरोसे की
शिल्पा रोंघे

दिल के दरिया में उफान

जब रास्ते पक्के थे तब मंजिले लापता थी
जब मंजिल का पता चला तो रास्ते गढ्ढों से भर चुके थे
अब यही सोचते है हम
कि पुराने दौर को याद रखे
या आज के हालात को कोसते रहे हम
ये तो हैै बड़ी उलझन
कभी हवा की गैरमौजूदगी महसूस कराती है घुटन
तो सोचते है ये हवा भी अब किस काम की
जो बनके 
तूफ़ान  ना ला दे दिल के दरिया में उफान.
शिल्पा रोंघे

ऐसी आग से दूरी ही अच्छी

दिल में प्यार के शम्मा जलाए 
वो मोहब्बत तो मिले 
तो समझो खुशनसीबी अपनी
गर उसी लौ में जलकर खाक 
हो जाए दिल 

तो ऐसी आग से दूरी ही
अच्छी 

शिल्पा रोंघे

ज़ज्बातों के धागे ही थे कच्चे


चलों मिटा लें सारे शिकवे...
तुम भी अच्छे और हम भी
सच्चे.
पर हो ना सकेंगे हम दो
से एक कभी.
शायद दो दिलों को बांधने
वालें ज़ज्बातों के धागे ही
थे कच्चे.

प्यार होना इत्तेफ़ाक की बात है

प्यार होना इत्तेफ़ाक की बात है
और बरसों तक टिकना नसीब
की बात हैं....
दगा देना बहुत आसान है
लेकिन वफ़ा करना बेहद
मुश्किल काम है....

शायद इसीलिए मुश्क से ज्यादा
जमाने में इश्क बदनाम हैं...
Shilpa Ronghe 

सीने में दिल ही नहीं हैं

कभी कभी फूलों की नहीं
आंसूओं की माला बनाने
को जी चाहता है
उस जालिम को पहनाने को
जी चाहता है,
जिसके सीने में दिल ही नहीं हैं

बेरहम तुम दिल को भाते हों

इतना अजीबो गरीब
शख्स मैंने देखा नहीं कभी
फिर भी ना जाने क्यों
तुम दिल को भाते
हो.
तुम तो हो बेरहम
इसीलिए चैन से
सो जाते हो.
पर सच कहती हूं
हर रोज सपनों तुम
में आते हो. 
                                                                                   Shilpa Ronghe   

प्यार हैं जहर ?

प्यार में पड़ना महंगा पड़ता हैं
अगर उमर से पहले हो मरना
तो.
ये जहर से भी बेहतरीन तरीका
हैं.

शिल्पा रोंघे

बेकार है प्यार ?

जिस डाली पर फूल ना लगे
उसकी कलम को लगाना बेकार है
जिस प्यार की कोई मंजिल ना हो
उसे बढ़ाना बेकार है.

Thursday, June 2, 2016

नफरत और मोहब्बत

नफरत और मोहब्बतका चोली दामन का साथ है नजरियें को चाय की छन्नी सा बना लों कड़वाहट के दाने छन जाएंगे मिठास का प्याला हाथ में थाम लो

शिल्पा रोंघे

चांद हूं मैं


चलो रात हूं मैं अंधेरी सी समझों या फिर तपते धूप के बाद आई ठंडी सौगात समझों चकौर का काम तोचांद को देखना है पर ये मत भूलनादिन के उजाले में वो अपनी चमक खो देता हैं मेरे ही काले माथे पर अंधेरे में ही चांद चमकता है .                                                    शिल्पा रोंघे

                                                                                  

मुझे फर्क पता ही कहां था



फासलों ने ही मुझे तेरे होने का एहसास दिलाया है वरना तेरे मेरी गलियों से गुजरने और हवा के चलने में मुझे फर्क पता ही कहां था 

शिल्पा रोंघे

तेरा प्यार अलाव सा है

ठंडी की ठिठुरन में अलाव सा हैतेरा प्यार..जो बाहर नहीं दिल के भीतर है जलता. सर्दी के मौसम में खिलते गेंदे के फूल सा तेरा प्यार जो बागों में नहीं मेरे होंठे पे खिलता है बनके मुस्कान. 


शिल्पा रोंघे

कुछ सुहाने सपनें

कुछ सुहाने सपनें बंद आंखों में ही अच्छे होते है आंख खुलते ही लहूलुहान हकीकत बनकर गले मिलते है.

शिल्पा रोंघे

दिल रखो तो सोने सा

दिल रखो तो सोने सा जो टूटकर भी अमीर ही है रहता.शीशा ए दिल नाजूक होता है बड़ा, कहते भी तो है कि टूटे हूए कांच में खुद को देखना भी होता है बुरा.

शिल्पा रोंघे

जिंदगी

जिंदगी भी रेल की तरह होती है जो उजले रास्तों के साथ अंधेरी सुरंगों से भी गुजरती है पर मंजिल पर पहुचती जरूर है. सब्र नाम के ईंजन के बिना ये आगे नहीं बढ़ती है.


शिल्पा रोंघे

काश ये बचपन


काश ये बचपन भी बोनसाई के पेड़ सा होता जो जवां होकर भी अपनी मासूमियत ना खोता.

शिल्पा रोंघे

मुफ़लिसी का दौर

मुफ़लिसी का दौर
आए तो मत
घबराना
ए दोस्तों
यही तो वो
वक्त होता
है.
जब सच्चे
और झूठे
नातों
का पता
चलता है
दोस्तों.

                                                                                     शिल्पा रोंघे

पांव जमीन पर रखों


निगाह आसमान पर रखों और पांव जमीन पर रखोंचाहे फल पेड़ कीशाखों पर लगते हैंपर माली तो जड़ों को ही सींचतें हैं

शिल्पा रोंघे

कविता गोविंद और राधा


कविता गोविंद और राधा

मोहे भाए रंग तेरो सांवरों....
हां समझती हूं मैं तेरे नैनो की
भाषा....
पर ना जानूं तू क्यों चुप
हैं मुझसे
दूर खड़ा सा,
ना डर मुझसे
इतना भी
कभी मिले फुरसत
तो कह जाना
कानों में मेरे
दिल में तेरे जो ज़ज्बात
है भरा सा
ना छुपा गर
है तुझको
मुझसे प्यार
जरा सा..
तेरे सिवा
मुझको कोई
और ना सुहाता
ना चांदी
ना सोना
भाए मोहे
रंग तेरा
मटमैला
ओ बालम मोरो
सांवरा


Shilpa Ronghe 

भूल कर बैठे तुम



खिड़की से तुम्हारे चेहरे पर आ गिरी बूंदो को बारिश की फूहारें समझने की भूल कर बैठे तुम.


दुप्पटें से मुंह छुपा रहे थे हम जिसे तपती धूप से बचनेकी कोशिश समझने की भूल कर बैठे तुम.

सर्दी में तपती आग की आड़ लेने की कोशिश कर रहे थे हम जिसे हाथ सेंकने की भूल समझ बैठे तुम गलतफ़हमियों के शिकार हुए तुम.


आंखों से बह रही नमी को छिपाने में कामयाब हुए हम और हमारे दिल के दर्द को महसूस करने में नाकामयाब हुए तुम


शिल्पा रोंघे

तुम मिलों ना मिलों

मौत से क्यों हम डरे भला डर तो है तुम्हें खोने का जिंदगी तो लौट-लौट के आती है पर क्या भरोसा अगले जनम तुम मिलों ना मिलों.

शिल्पा रोंघे

हमराज हो या जादूगर


बिन बोले ही दिल की बात जान लेते हो
हमराज हो या जादूगर
जो चेहरे
कि किताब पढ़ लेते हो
हो सके तो ये हुनर 
हमें भी सीखा दो.

शिल्पा रोंघे

ख़्वाब तुम्हारा



आखिरी बार मैं तुमसे चाहती हूं कहना ,अब बस भी करो मेरी रातों की नींद उड़ाना,नहीं समझ पाई मैं अब तक, तुम खुद चलकर दस्तक देतेंहो पलकों के दरवाजे पर,या मैं खुद ही देखती हूं ख़्वाब तुम्हाराअब खुदा ही जानेतुम्हारे साये की है ये शरारत या है ये मन का वहम मेरा

शिल्पा रोंघे

तन्हाई



तन्हाई को हरदम गले से 
लगाए रहते है 
प्यार जो है तुम्हारे 
लिए है उसे दिल में 
छुपाए बैठे हैं 
कुछ नम मोतियों
को आंखो से
गिरने से बचाए
रखे है
पता नहीं क्यों तुम्हारे
इंकार से डरते है
पाने की खुशी से ज्यादा
तुम्हें खोने
का गम होगा हमें
झुठी ही सही
तुम हो मेरे
इस खुशफ़हमी
में जीना चाहते हैं
शिल्पा रोंघे

बिन गुनाह के ही सजा काट रहे है हम

Chains, Feet, Sand, Bondage, Prison, Freedom
कभी हमारा दिल चुराते थे 
आज निगाहे चुरा रहे हो 
गुनाह तो दोनों बार किया 
ना दिल वापस किया 
ना हमारी निगाहों 
के सवालों का
जवाब दिया
तुम तो बाइज्जत बरी
हो गए
लेकिन बिन गुनाह
के ही सजा काट रहे है हम
तुम किसी और की चाह
बन गए
और तन्हाई की सलाखों के पीछे
कैद हम हो गए.

शिल्पा रोंघे

ख़ैरियत पूछने की झूठी रस्म

Smartphone, Woman, Girl, Iphone, Apple Inc, Touch

सब दोस्तों ने जानाहालचाल हमारा क्या हो इतने मतलबी कि हमारी ख़ैरियत पूछने की झूठी रस्म भी ना कर सके अदा.

शिल्पा रोंघे




दिल तोड़ना तुम्हारी फितरत है


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दिल तोड़ना तुम्हारी फितरत है ज़ज्बातो से खेलना तुम्हारी आदत हैटूटे हुए टूकड़ो से सीने में जो होती है जो चुभन उनसे तुम्हे मतलब नहीं हैतुम तो हो पत्थर दिलशायद इसीलिए तुम्हे दिल की कीमत मालूम नहीं हैं.


शिल्पा रोंघे

हवा भी ना जाने कितनी करवटें बदलती है

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ये हवा भी ना जाने कितनी करवटें बदलती है 
हर मौसम का अलग है मिज़ाज
हर बार इस हवा का अलग है अंदाज़
गर्मी की दोपहर में लू बनकर मनमानी करती है
माथें से टपकटे पसीनें में घुलमिल जाती
है.

तो रातों में चलकर बदन को यूं छू जाती
है कि दिनभर की थकान में सुकुन सा दे जाती है.

सर्दी के मौसम में शीतलहर बन जाती है
पूरे बदन में एक ठिठुरन सी दे जाती है.

रातों में बंद दरवाजों को खटखटाती है
खिड़की के कोनो से अंदर आने की
कोशिश में रहती है.

तूफ़ान बनकर आने वाली बरसात का
संदेश लाती है.

उंचे-उंचे पेड़ो के पत्तों से गुजरते
हुए खड़खड़ाती आवाज़
पैदा करती है.

कभी बागानों में टहल कर
तो देखों.

फूलों की खुशबू से मिलकर
चारों दिशाए महकाती है
कभी रातों में छत पर जाकर
तो देखो.

मां की ममता सी पीठ
सहलाती है
ये हवा भी ना जाने कितनी करवटें
बदलती है.
शिल्पा रोंघे

क्या फरक पड़ता है

Portrait, Couple, Hug, Forest, Love, Romance, Happiness
क्या फरक पड़ता है जो मेरे हाथों में तेरा हाथ नहीं
क्या फरक पड़ता है गर तेरे कांधे
पे रख के सर हम अपना रोए नहीं
क्या फरक पड़ता है इंतजार में खड़े
थे तुम.

और पीछे मुड़कर देखे भी नहीं हम
अरमानों को दिल में छुपाकर
आगे बढ़ गए हम.

तुम्हारी निगाहों में छुपे प्यार को भांप
गए हम.
शायद अब तक बेवफा हमें
समझ रहे थे तुम
थे मजबूर हम
और थे नाराज़ तुम
हम इस बात के लिए है खुश
कि चलों अपने दिल
के ज़ब्बातों को
बहने से रोक सके हम
शायद हमें भूल गए तुम
पर आज भी अधूरे है
तुम्हारे बिन हम.

Shilpa Ronghe

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।