अक्सर इंसान इसलिए तकलीफ़
से गुजरता है
क्योंकि वो उनकी फ़िकर करने
वालों को दरकिनार कर देता है
और ऐसे रास्तों को पर भटकता
रहता है जिसकी कोई मंजिल नहीं
ऐसी परछाईयों को पकड़ने
की कोशिश में रहता है
जो कि हाथ में आती ही नहीं
जानता है सब कुछ
फिर वही गलती
दोहराता है सैकड़ों बार भी
शायद प्यार में अंधा
इतना हो जाता है
कि आंखे होकर भी
नहीं देख पाता
है कि क्या है गलत और सही
Shilpa Ronghe
से गुजरता है
क्योंकि वो उनकी फ़िकर करने
वालों को दरकिनार कर देता है
और ऐसे रास्तों को पर भटकता
रहता है जिसकी कोई मंजिल नहीं
ऐसी परछाईयों को पकड़ने
की कोशिश में रहता है
जो कि हाथ में आती ही नहीं
जानता है सब कुछ
फिर वही गलती
दोहराता है सैकड़ों बार भी
शायद प्यार में अंधा
इतना हो जाता है
कि आंखे होकर भी
नहीं देख पाता
है कि क्या है गलत और सही
Shilpa Ronghe
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