Tuesday, December 29, 2020

हीरे

 

लोहे की दुकान पर, जो हीरे की कीमत पूछने जाओगे

तो ठगे ही रह जाओगे।

इससे अच्छा तो तुम कोयले खान

में रहकर ही चमकदार बन जाओगे।

शिल्पा रोंघे

Monday, December 28, 2020

जुगनू

 

थोड़ा थोड़ा अंधेरा भी भाता है मुझे,

जब रोशनी से आंखे चौंधियाने लगे।

दीये की क्या ज़रुरत जब

जुगनू और चांद सितारे ही

रास्ता दिखाने लगे।

शिल्पा रोंघे

 

 

अहं

 अहं क्या है ?

मिथ्या भरम का कारावास आजीवन।

कविता

 हर कविता लिखने वाले के ज़हन में कोई हो ये ज़रुरी नहीं।

जिसके ज़हन में बसा हो कोई वो कविता लिखता हो ये ज़रुरी नहीं।
शिल्पा रोंघे 

Sunday, December 27, 2020

भाषा

 

ना बेहतर होती है ना कमतर होती है

कोई भी भाषा केवल संवाद का माध्यम होती है।

शिल्पा रोंघे

Saturday, December 26, 2020

नारी

 सजती हूं, संवरती हूं। 

खुद को आईने में निहारती भी हूं।

जो भी करती हूं खुद की ख़ुशी के लिए

करती हूं किसी को रिझाने का इरादा

नहीं रखती हूं।

नारी हूं तो क्या हुआ

इतनी तो आज़ादी मैं

भी रखती हूं।

शिल्पा रोंघे 

गुलाब

 

नहीं चाहत मुझे अब मौसमी पत्तें की।

सींच सकु भावनाओं के जल से अब बस वही

पौधा चाहिए।

गुलाब नहीं, मुझे तो उसकी

कलम चाहिए।

इसके अलावा कुछ और नहीं मंजूर मुझे,

बिल्कुल भी नहीं चाहिए।

शिल्पा रोंघे  

उसकी दुनिया




इक दिन ऐसा होगा

जब इल्म होगा उसे

कि क्या हकीकत है

और क्या है फ़साना

कहती आई है दुनिया सदियों से सच है

वो या लिखेगी वो खुद ही

अपने लफ़्जों का तराना।

शिल्पा रोंघे

Thursday, December 24, 2020

सशक्त लोग

 

अंबर को छूने की ख़्वाहिश रखते है,

लेकिन ज़मीन से जुड़े रहना भूलते नहीं।

सशक्त लोग हमेशा आगे देखते है।

पलटकर पीछे नहीं।

शिल्पा रोंघे

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।