इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।
I like to write Hindi poetry in comprehensive language, which try to depict different situation and state of mind of human beings. All Rights reserved ©Shilpa Ronghe
Tuesday, March 19, 2024
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मेघा
देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस फिर से, ...
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मैं जानती हूं कि आए थे तुम मेरे शहर... जिसे मुझसे दूर ले गई थी रोजी रोटी की तलाश.... वो मेरी सौत सी गुज़र बसर उसी श...
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करते है याद जब बचपन के वो दिन तो सोचते है जाने कैसे दिखते होंगे तुम ....... रोज स्कूल से आते वक्त मेरे घर के सामने से गुजरते थे तु...
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इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।
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