Tuesday, May 28, 2019

उनकी निगाहों के साये

कुछ तो बात होगी उनकी मुस्कान में 
जो भरी भीड़ में भी निगाह सिर्फ उन्हीं 
पर जाकर टिक गई.

कुछ तो बात होगी उन आंखों में जो 
रहती थी हमेशा उठी, देखते ही उन्हें 
झुक गई.

क्या पता लिखा है या नहीं मिलना उनसे 
मेरा, नहीं दिखते पुरानी राहों पर अब वो पहले की तरह.

पर ना जाने क्यों दिल को है ये वहम कि 
वो गुजरेंगे कभी इस राह पर फिर कभी.

शायद उन आंखों को भी हो तलाश मेरी,
जैसे कि हर कदमों की छापों पर ढूंढती 
है उनकी तस्वीर निगाहें मेरी.

शिल्पा रोंघे 

Sunday, May 26, 2019

हार जीत की राजनीति से परे- कविता



 आत्ममंथन को भी वक्त चाहिए.

 संघर्षों की आंच पर 
 तप कर सोना बनती है विजय 
 की गाथा.

 बलिदानों के रथ पर सवार होकर 
 जाती है जीत की मंजिल.


 स्वंय की विजय का जश्न मनाता 
 है हर कोई यहां.

हार स्वीकार करने  के लिए भी विशाल ह्रदय चाहिए.

शिल्पा रोंघे 

Thursday, May 23, 2019

ज़माने का दस्तूर

बर्बाद चमन का ज़िक्र कहां होता है ज़माने में.
जो आबाद है वही कल, आज और कल है.

शिल्पा रोंघे

Monday, May 20, 2019

औरों पर हंसना तो बात आम है. 
जिसने खुद पर हंसना सीख लिया 
समझ लो वो बिना लड़े ही ज़िंदगी 
की जंग जीत गया.

शिल्पा रोंघे 

अर्ज़ किया है

तुम कुछ किताब के पन्नों के पलटने पर
हवा पर इल्ज़ाम मढ़ देते हो जनाब.
हमने तो इंसान को अपनी बातों 
से पलटते देखा है.

Sunday, May 19, 2019

शीर्षक - अंकों का खेल



क्या स्कूल और कॉलेज 
के अंक ही सफलता 
का अंकशास्त्र लिखते है ?

क्या यही सफलता की 
आखिरी सीढ़ी होते है ?

अंकों का अतीत ही सुनहरे 
भविष्य की गारंटी हो सकता है ?

समझ गया जो जीवन को बहुमूल्य 
समझ ले वो ये भी, सफलता असफलता अंकों से परे होती है, ये दृष्टिकोण में
होती है, प्रमाणपत्रों तक ही सीमित नहीं.

शिल्पा रोंघे 

Saturday, May 18, 2019

बुद्ध पूर्णिमा पर

जिस दिन सांसारिक मोह और 
माया के बंधन से मुक्त हो जाओगे, 
तुम खुद को बुद्ध की शरण 
में पाओगे.

शिल्पा रोंघे

Thursday, May 16, 2019

सच्चा प्यार

माना कि सबकी किस्मत में "सच्चा प्यार" नहीं होता.

गर सिर्फ यही इक सच होता, तो दुनिया में ये लफ़्ज़ ही ईज़ाद ही नहीं होता.

शिल्पा रोंघे

Wednesday, May 15, 2019

तुम कुछ ऐसे हो जाना

मेरी सूनी आंखों का काजल बन 
जाना.
मेरे गालों की लाली बन जाना.

भूल जाऊं मैं सिंगार दान 
रखना, मेरी बेनूर सी तकदीर का 
नूर तुम बन जाना.

शिल्पा रोंघे 

Friday, May 10, 2019

रूठने दो उन्हें

बेहतर है  रूठ जाना,
और साथ छूट जाना भी.

सूर्योदय को सूर्यास्त 
सूर्यास्त को सूर्योदय
कैसे कह दें चंद लोगों 
की खुशी के लिए.

शिल्पा रोंघे

Wednesday, May 8, 2019

दिल की बात

बेगाने की तरह,
मुसाफ़िर की तरह,
अंजान की तरह,
पता पूछते है वो हमसे,
कि जैसे हम ही बनाते 
हो नक्शा दिल की मंजिल 
का.
ना जाने कहां से निकलता 
है उनकी चाहतों का रास्ता 
इसी कश्मकश में हूं, क्या 
मैं भी हूं हमराही 
भूला भटका सा उनके 
सफ़र का ?

शिल्पा रोंघे 

Monday, May 6, 2019

वो

ज़िक्र ए इश्क होते ही लब उनके 
सिल जाते है.

पूछता है सन्नाटा भी कि वो तुम्हारे 
क्या लगते है.

शिल्पा रोंघे 

Sunday, May 5, 2019

नारी मन

निष्कपट नारी मन 
कहां पुरूष अहं को 
समझता है ?
उसकी जीत के लिए 
अपनी हार का भी उत्सव 
मनाता हैं.

शिल्पा रोंघे 

Saturday, May 4, 2019

दिल का मंदिर

वक्त की धीमी आंच पर सिकी
हुई आधी पकी, आधी कच्ची याद 
है.
हां ख़्वाहिशे बस करती बरबाद है,
फिर भी ना जाने क्यों गुलों 
को खिलने से ज्यादा  दिल के 
मंदिर में फ़ना हो जाने का 
शौक है.

शिल्पा रोंघे 

Friday, May 3, 2019

सत्य या.....

सत्य ने मौन की काली कोठरी को चुन लिया.
इसलिए ही असत्य ने उजले रास्तों पर 
वर्चस्व कर लिया.

शिल्पा रोंघे 

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।