आत्ममंथन को भी वक्त चाहिए.
संघर्षों की आंच पर
तप कर सोना बनती है विजय
की गाथा.
बलिदानों के रथ पर सवार होकर
जाती है जीत की मंजिल.
स्वंय की विजय का जश्न मनाता
है हर कोई यहां.
हार स्वीकार करने के लिए भी विशाल ह्रदय चाहिए.
शिल्पा रोंघे
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