Friday, August 31, 2018

गलत लोगों से रूबरू होना है ज़रूरी

गलत लोगों से रूबरू
होना भी ज़रूरी है,
ज़िंदगी में सही
लोगों की पहचान के लिए.
🙂🙂🙂
शिल्पा रोंघे

Thursday, August 30, 2018

मंजिल की ख़बर रख

सफ़र के लिए हमसफ़र
की नहीं सही मंजिल की
ख़बर रख.
मंजिल को क्या मतलब
सफ़र अकेले कटा भी हो
अगर.
क्योंकि मंजिले अपनी
जगह से मुकरती नहीं है.

शिल्पा रोंघे 

बेवजह होता है

बेवजह तो इकरार होता है
वजह तो इंकार ही ढूंढता है.

शिल्पा रोंघे 

Tuesday, August 28, 2018

मन

मरूभूमि सा मेरा मन,
वर्षा की बूंदों सी तुम.

Saturday, August 25, 2018

किस्मत की बात

अरे नादान तुझे कैसे समझाऊं
बोलते बोलते मेरी जुबां सूख गई है
लिखते लिखते कलम की स्याही
भी खत्म हो गई है
ए किस्मत कुछ भी कहो लो
तू मुझसे भी ज्यादा
जिद्दी हो गई है.

Monday, August 6, 2018

खुशियों की फ़ितरत

खुशियों की फ़ितरत भी गुड़िया के बालों
जैसी होती है पता ही नहीं चलता कब घुल जाती है.

शिल्पा रोंघे

मीरा से प्रेरित

conversation poem (inspiration Meera Krishna love )
उसने मुझसे कहा देख मेरी बदनसबी कि मैं किसी की  हो ना सकी
पूछा क्या मैं इतनी थी बुरी ?
मैंने कहा
अरे नादान  ये है तेरी खुशनसीबी
तू थी भगवान को भी इतनी प्यारी
कि वो भी नहीं चाहता था
तू उसके सिवा हो किसी और की.

शिल्पा रोंघे

Sunday, August 5, 2018

विचार सुंदर

सेल्फ़ी से ज्यादा कभी कभीे किसी के विचार ज्यादा आकर्षक होते है, क्योंकि उससे व्यक्तित्व झलकता है.

शिल्पा रोंघे

क्यों रखूं में बैर

क्यों मैं रखूं बैर बिना कारण,
भरोसा नहीं होता जब कल का तो फिर ये बेवजह का सामान मेरे किस काम का ?
शिल्पा रोंघे 

Saturday, August 4, 2018

मित्रता दिवस की शुभकामनाएं 🌿

मित्रता दिवस की शुभकामनाएं 🌿

जब विश्वास, स्नेह, समर्पण
के जल से रिश्ते सींचे जाते
है तब मित्रता के पुष्प पल्लवित
होते है.
🌼🌼🌼🌼🌼
शिल्पा रोंघे

Friday, August 3, 2018

दिल की उलझन

इजहार सेे ज्यादा इंकार से डर लगता है
नजदीकी की  खुशी से पहले ही  बिछड़ने का डर घेर जाता है.
इसी कशमकश में उलझकर
दिल की सीढ़ियों पर प्यार लड़खड़ाता रहता है
जिसका नाम तेज धड़कन बनकर सामने आता है.
शिल्पा रोंघे

Wednesday, August 1, 2018

उम्मीद के दीपक

उम्मीद के दीपक तब बुझते है.
जब हम उसमें तेल
किसी और के
हाथों भरने की उम्मीद
करते है .
वरना खुद पर हो
भरोसा तो देखों
साई  के हाथों से भी
पानी के दिए भी जल
चुके है .

शिल्पा रोंघे 

सब कुछ पहला

पहली बूंद सावन
की,

पहला फूल बसंत का,

पहला पत्ता पतझड़ का
समेट लेना चाहती हूं,
इंद्रधनुष सी ओढ़नी
में.

सतरंगी चुनरी में
कुदरत के रंग भरना
चाहती हूं.

शिल्पा रोंघे

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।