अरे नादान तुझे कैसे समझाऊं
बोलते बोलते मेरी जुबां सूख गई है
लिखते लिखते कलम की स्याही
भी खत्म हो गई है
ए किस्मत कुछ भी कहो लो
तू मुझसे भी ज्यादा
जिद्दी हो गई है.
बोलते बोलते मेरी जुबां सूख गई है
लिखते लिखते कलम की स्याही
भी खत्म हो गई है
ए किस्मत कुछ भी कहो लो
तू मुझसे भी ज्यादा
जिद्दी हो गई है.
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