Wednesday, August 1, 2018

सब कुछ पहला

पहली बूंद सावन
की,

पहला फूल बसंत का,

पहला पत्ता पतझड़ का
समेट लेना चाहती हूं,
इंद्रधनुष सी ओढ़नी
में.

सतरंगी चुनरी में
कुदरत के रंग भरना
चाहती हूं.

शिल्पा रोंघे

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