Saturday, July 28, 2018

परंपरा या दान ?

कन्याभोजन,
मृत्युभोजन,
ना कितने भोजन
होते है परंपराओं के नाम पर,

लेकिन गरीब बच्चे बिलख
रहे है भूख से.

अपनी जेब परंपराओं पर हल्की
करने से अच्छा है, किसी ज़रूरतमंद
को खिलाया जाए.

शिल्पा रोंघे

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