Sunday, July 22, 2018

किसान की व्यथा

लड़की की शादी का कर्जा,
बच्चों की लेट फ़ीस,
पत्नी के इलाज़ में देरी,
शिकायतों का लगा
अंबार.

कभी बारिश वक्त पर
नहीं आती,
कभी सूखे का है प्रहार.

तो कभी होती है ओला बनकर
फसल पर मारा मारी.

कभी दाम नहीं मिल पाता लागत
अनुसार,
कभी बिक जाती है सब्जी
कौड़ियों के दाम.

ना पंखा ना कूलर
मिट्टी के घरों
में रहता.

बिना बिजली के
दीये की रोशनी
तले गुजरती
रातें.

कच्ची और उबड़
खाबड़ सड़कों
से गुजरता हुआ थका हारा
आंगन में ही सो जाता,
आसमान की चादर
तले कल की फ़िक्र
लिए अधूरी नींद
के साथ
सुबह होने
से पहले ही उठ जाता
किसान.

शिल्पा रोंघे

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