Monday, October 31, 2016

बस इक पन्ने में मत समेटों मुझे.

बस इक पन्ने में मत समेटों 
मुझे.
क्यों ना अपनी जिंदगी की 
किताब बना ही लो मुझे
जिसकी शुरुआत

भी मैं हूं
और अंत भी.

शिल्पा रोंघे

चित भी मेरी पट

चित भी मेरी पट भी मेरी की सोच रखने वाले कभी प्यार नहीं
कर सकते कारोबार जरूर कर सकते है
रिश्तों के मामलों में अक्सर खाली
हाथ लौटते है.
शिल्पा रोंघे

गर समझते हो मजबूर मुझे

गर समझते हो 
मजबूर मुझे 
गर समझते 
हो बोझ मुझे 
अगर और मगर 

की हो गुंजाइश
तो वो प्यार नहीं
अहसान है
हो सके तो
इसके बोझ तले
ना दबाओ मुझे
गर हूं आखरी
और पहली
ख्वाहिश तुम्हारी
सिर्फ तभी
सपनों से हकीकत
की दुनिया में उतारों
मुझे.

शिल्पा रोंघे

मिलना नहीं है चकोर को चाँद से कभी

मिलना नहीं है चकोर
को चाँद से कभी
बस ताकते रहना है.
परवाने की 
किस्मत में शम्मा
की लौ को बस
ताकते रहना है.
मिलना नहीं है
जानते है सब
बस दीदार ही
जीने का बहाना
है.
चलों साथ का
नहीं
तो एक झलक पाना ही
अब लगने लगा सुहाना है.
शिल्पा रोंघे

हाड़ मांस की काया को रखकर

हाड़ मांस की
काया को रखकर
परे क्या तुमने
एक स्त्री का
मन है पढ़ा
गर नहीं पढ़ा
तो तुम सबसे बड़ी
चूक कर गए.
अंग रंग में
उलझकर
तुम सबसे बड़ी
भूल कर गए.
क्या बिन पन्ने पलटे
आवरण से ही किताब
पढ़ पाया है कोई
इस हाड़ मांस के फेर
में आत्मा को रखकर
परे कैसे तुम कह गए कि
एक स्त्री को पूरी तरह
जान गए.
सचमुच तुम ये कैसी
भूल कर गए.
शिल्पा रोंघे

सुना है आसमान में बैठे चांद

सुना है आसमान में बैठे चांद
और सितारे करते है
तय जमीं पर बैठे
दो दिलों का मिलना
और बिछड़ना 
फिर क्यों कहते है
ना जाने लोग
कि प्यार अंधा होता है
जबकि सब कुछ उस
उपरवाले की मर्ज़ी
से तय होता हैं.
जो देख नहीं सकती
दुनिया वो सबसे पहले
महसूस उसे ही होता है.
शिल्पा रोंघे

धूप भी जिंदगी की तरह है

धूप भी जिंदगी की तरह है हमेशा
एक सी नहीं रहती है.
सर्दियों में सुहानी
लगती है.
तो बारिश में 
नमी को है दूर
भगाती.
फिर गर्मी में
लू के साथ घुल मिलकर
जिस्मों जान है जलाती
लेकिन बात है ये पक्की
हमेशा एक सी ये दोनों
नहीं रहती है.
कभी राहत तो कभी थकावट ये है देती.
शिल्पा रोंघे

ये इश्क भी अजीब है

ये इश्क भी अजीब है
मिल जाए तो
कोई मोल नहीं
गर ना मिले तो
उससे बेशकीमती 
कुछ भी नहीं.
जान भी चली
जाए तो भी कीमत
ना चुका पाए कोई.
शिल्पा रोंघे

कईयों ने मांगा होगा

कईयों ने मांगा होगा
दुआ में उसे
शायद इसीलिए वो
अकेला होगा.
उसका जरूरत 
से ज्यादा अच्छा
होना भी इसकी
वजह होगा.
ना सोचो कि उसमें
कोई ऐब होगा.
शिल्पा रोंघे

अपने जैसा

मुझे अपने जैसा बनाने की 
कोशिश ना कर
नदी के दो किनारे
बनने से अच्छा
है तुम समुंदर और 

मैं नदी बनूं
ताकि बेझिझक
तुम मुझमें
और मैं
तुममे मिलूं

शिल्पा रोंघे

वक्त के पंजों से

कहते है जो ये कि वक्त 
के पंजों से बचा
लेंगे तुम्हें
वहीं सबसे बड़े
शिकारी होते हैं.

शिल्पा रोंघे

रोने के हज़ार बहाने

कोई रोने के हज़ार बहाने 
दे जाए चाहे 
लेकिन ये दिल हंसना 
भूलता ही नहीं 
क्या करे गम पीने 

की आदत सी बन गई
है और लोग सोचते है
कि हमसा बेपरवाह
कोई नहीं. 

शिल्पा रोंघे

सच को पैसों के तराजू में ना तौलो

सच को पैसों के तराजू 
में ना तौलों 
कभी कभी झूठ
भी बहुत महंगा 
बिकता है

और सच
ना जाने कहां
दफ़न होकर
रह जाता
है.

शिल्पा रोंघे

इज़हार कर मुकर जाओ

ना जाने प्यार जैसे
ज़ज्बाती शब्द
को यूं हल्के
में कैसे ले लेते
है लोग 
जब चाहे
इज़हार कर
दो
और जब निभाने
की बारी आए तो
साफ़ मुकर जाओ
शिल्पा रोंघे

Sunday, October 9, 2016

रिश्तों में दूरी

ख़ास से सब में शुमार हो जाओं गर
आप से तुम बन जाओं गर
तब समझ लेना
कि रिश्तों में दूरी नहीं
दरार आ गई हैं

शिल्पा रोंघे

जिंदगी की वसीयत

जिंदगी की वसीयत
पढ़ने से पहले ये
जरूर याद रखना
गर गम ना बांट
सके किसी का
तो उसकी खुशी
में भी अपना हिस्सा
मत मांगना.

शिल्पा रोंघे

बच्चा है दिल बच्चा ही रहने दो

बच्चा है दिल बच्चा ही रहने दो
कैरी की खटास ही भाती है मुझे
कच्चे है अक्ल के कच्चे ही
रहने दों.
पके हुए आम सा नहीं
बनना है मुझे
क्योंकि पकने के बाद
ही गलने की शुरूआत होती
है.

शिल्पा रोंघे

चित भी मेरी पट भी

चित भी मेरी पट भी मेरी की सोच रखने वाले कभी प्यार नहीं
कर सकते कारोबार जरूर कर सकते है
रिश्तों के मामलों में अक्सर खाली
हाथ लौटते है.
शिल्पा रोंघे

एक खूबसूरत झूठ

एक खूबसूरत झूठ
से
बदसूरत सच्चाई हमेशा
अच्छी होती है.
गलतफ़हमी पालने से
बेहतर दो पल का
कड़वा घूट पीना हैं.

शिल्पा रोंघे

Friday, October 7, 2016

जिंदगी की किताब बना ही लो मुझे

बस इक पन्ने में मत समेटों
मुझे.
क्यों ना अपनी जिंदगी की
किताब बना ही लो मुझे
जिसकी शुरुआत
भी मैं हूं
और अंत भी.
शिल्पा रोंघे

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।