धूप भी जिंदगी की तरह है हमेशा
एक सी नहीं रहती है.
सर्दियों में सुहानी
लगती है.
तो बारिश में
नमी को है दूर
भगाती.
फिर गर्मी में
लू के साथ घुल मिलकर
जिस्मों जान है जलाती
लेकिन बात है ये पक्की
हमेशा एक सी ये दोनों
नहीं रहती है.
कभी राहत तो कभी थकावट ये है देती.
एक सी नहीं रहती है.
सर्दियों में सुहानी
लगती है.
तो बारिश में
नमी को है दूर
भगाती.
फिर गर्मी में
लू के साथ घुल मिलकर
जिस्मों जान है जलाती
लेकिन बात है ये पक्की
हमेशा एक सी ये दोनों
नहीं रहती है.
कभी राहत तो कभी थकावट ये है देती.
शिल्पा रोंघे
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