गर समझते हो
मजबूर मुझे
गर समझते
हो बोझ मुझे
अगर और मगर
की हो गुंजाइश
तो वो प्यार नहीं
अहसान है
हो सके तो
इसके बोझ तले
ना दबाओ मुझे
गर हूं आखरी
और पहली
ख्वाहिश तुम्हारी
सिर्फ तभी
सपनों से हकीकत
की दुनिया में उतारों
मुझे.
शिल्पा रोंघे
मजबूर मुझे
गर समझते
हो बोझ मुझे
अगर और मगर
की हो गुंजाइश
तो वो प्यार नहीं
अहसान है
हो सके तो
इसके बोझ तले
ना दबाओ मुझे
गर हूं आखरी
और पहली
ख्वाहिश तुम्हारी
सिर्फ तभी
सपनों से हकीकत
की दुनिया में उतारों
मुझे.
शिल्पा रोंघे
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