Monday, October 31, 2016

हाड़ मांस की काया को रखकर

हाड़ मांस की
काया को रखकर
परे क्या तुमने
एक स्त्री का
मन है पढ़ा
गर नहीं पढ़ा
तो तुम सबसे बड़ी
चूक कर गए.
अंग रंग में
उलझकर
तुम सबसे बड़ी
भूल कर गए.
क्या बिन पन्ने पलटे
आवरण से ही किताब
पढ़ पाया है कोई
इस हाड़ मांस के फेर
में आत्मा को रखकर
परे कैसे तुम कह गए कि
एक स्त्री को पूरी तरह
जान गए.
सचमुच तुम ये कैसी
भूल कर गए.
शिल्पा रोंघे

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