Monday, March 6, 2017

उन महलों में रहने का भी क्या फायदा

उन महलों में रहने का भी क्या फायदा
जहां पनाह पा गए हो उदासियों
के जाले
अच्छे तो है वो बिना दीवारों
के खुले रास्ते जहां हवा
है आस बनकर सर पर हाथ
फ़ेरे और धूप गले लगा
ले.
शिल्पा रोंघेना जाने क्यों लोगों

को नीचा दिखाने में रहते है
लोग
भूल जाते है वो ये शायद
कि ईमारत बनाने से ज्यादा
तोड़ने में मेहनत लगती है


शिल्पा रोंघे

मेरी चाहत बनना है सचमुच

मेरी चाहत बनना है सचमुच
तुम्हें तो
पहले सबसे पहले झूठ,
फ़रेब, बेवफ़ाई, लालच
के तोड़ दो सभी जालें
बनाओ ऐसा अशियाना
जहां सोने की ना हो दीवारें
तो कोई बात नहीं
बस खिड़की से आते हो
वफ़ा, सच और ईमानदारी के उजाले .

शिल्पा रोंघे

जो बेच चुके है ज़मीर

जो बेच चुके है ज़मीर
अपना
उनसे उसूलों वाली
बात
ना करों .
हो सके तो
भूल से भी ये भूल ना करों.

शिल्पा रोंघे

चांद तारें तोड़ लाने की बात बहुत से

चांद तारें तोड़ लाने की बात बहुत से
लोग करते है जब वो मोहब्बत
में पड़ते है.
पर अक्सर जब वादा
निभाने की बात आती है
तो वो लोग ही सबसे
पहले अपने कदम पीछे खींच
लेते है.

शिल्पा रोंघे

नदी के किनारों की तरह

नदी के किनारों की तरह
साथ साथ बहने की कसमें
तो खा लीं लैला और मजनूं
ने पर मिल ना सके दोनों.
दो किनारों की किस्मत
में मिलना कहां लिखा होता
है भला.

आजकल इश्क के नाम पर दिल्लगी

आजकल इश्क के
नाम पर दिल्लगी
करने वालों शोर
है.
हो सके तो
इस सुर को
तुम बचा लो.
इश्क को इबादत ही
रहनें दो महफ़िलों
की रौनक मत बनने दो.
शिल्पा रोंघेगुमनाम रहने का सबसे
बड़ा फ़ायदा ये है
दोस्तों की
तुम्हें सच्चे प्यार
की पहचान मिलती है
और मशहूर होकर
सिर्फ चाहने वालों की
भीड़ मिलती है
कौन करता है प्यार सचमुच
तुम्हें ये जानने में बड़ी मुश्किल
होती है.

शिल्पा रोंघे

उंगलियों पर ना गिनों

उंगलियों पर ना गिनों
कितने है चाहने वाले
खुशकिस्मत समझना
खुद को तुम जब कसकर थाम
लें अपने हाथों से कोई उंगली तुम्हारी मरते दम
तक के लिए.

शिल्पा रोंघे

धागे से सिली हुई किताब

धागे से सिली हुई किताब
की तरह हो जाती है
जिंदगी कभी कभी
फाड़ना चाहो अगर
पन्ना कोई तो पूरी
किताब ही बिखर जाती है.

शिल्पा रोंघे

सिर्फ किताबों का ढेर ही

सिर्फ किताबों का ढेर ही
किसी को जानकार नहीं
बनाता है.
कभी कभी जिंदगी में आने और जाने
वाले लोग भी किसी सबक
कम नहीं होते है.

शिल्पा रोंघे

कहते है लोग

कहते है लोग उंची उड़ान
भरने वालों के अक्सर
ठिकाने नहीं होते है
गर हो यकीन अपने
परों पर तो ये बात भी
मान लो कि उड़ने वाले ठिकाना
नहीं ढूंढा करते वो तो तिनका तिनका
जोड़ कर घरौंदा बनाया करते है
जमीन की उन्हे जरूरत क्या
वो तो हवा में झूलती डालियों पर भी अपनी दुनिया
बसाया करते है.

शिल्पा रोंघे
जब फिज़ा ही जहरीली हो जाए
तो मुश्किल है किसी पर भी भरोसा करना
पर यकीन मानना उस वक्त भी तुम्हें
कुछ हरे भरे पेड़ मिलेंगे जो
जहरीली हवाएं निगल लेंगे
और तुम्हें जिंदगी देने वाली
सांसों से भर देंगे.

शिल्पा रोंघे

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।