Monday, March 6, 2017

धागे से सिली हुई किताब

धागे से सिली हुई किताब
की तरह हो जाती है
जिंदगी कभी कभी
फाड़ना चाहो अगर
पन्ना कोई तो पूरी
किताब ही बिखर जाती है.

शिल्पा रोंघे

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