उन महलों में रहने का भी क्या फायदा
जहां पनाह पा गए हो उदासियों
के जाले
अच्छे तो है वो बिना दीवारों
के खुले रास्ते जहां हवा
है आस बनकर सर पर हाथ
फ़ेरे और धूप गले लगा
ले.
शिल्पा रोंघेना जाने क्यों लोगों
को नीचा दिखाने में रहते है
लोग
भूल जाते है वो ये शायद
कि ईमारत बनाने से ज्यादा
तोड़ने में मेहनत लगती है
शिल्पा रोंघे
जहां पनाह पा गए हो उदासियों
के जाले
अच्छे तो है वो बिना दीवारों
के खुले रास्ते जहां हवा
है आस बनकर सर पर हाथ
फ़ेरे और धूप गले लगा
ले.
शिल्पा रोंघेना जाने क्यों लोगों
को नीचा दिखाने में रहते है
लोग
भूल जाते है वो ये शायद
कि ईमारत बनाने से ज्यादा
तोड़ने में मेहनत लगती है
शिल्पा रोंघे
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