Sunday, June 30, 2019

दिल ही तो है

नाराज़ ना होना, किसी के साथ के लिए.
अकेले रहना भी अच्छा होता है दिल की सेहत के लिए.
शिल्पा रोंघे

Saturday, June 29, 2019

नया दौर




ना अंधभक्ति
ना अंध विरोध,
सिर्फ देशभक्ति 
चाहे ये नया दौर.

शिल्पा रोंघे

सलाह

सलाह देने 
से पहले 
अमल करना.

अमल करने 
से पहले 
सोचना 
बहुत ज़रूरी है.

शायद इसलिए ये 
शब्द कोई  पूछे तभी 
ज़ुबां से निकलता है.

शिल्पा रोंघे 

Friday, June 28, 2019

मेघ की कलम से

मेघ ने आसमानी स्याही से
सूखी धरती पर पानी लफ्ज़ लिख दिया.
भीगे भीगे से पन्नों 
का नाम नदी और तालाब 
रख दिया.

शिल्पा रोंघे 

Thursday, June 27, 2019

फलों का राजा



कहने को आम हूं,
लेकिन स्वाद में मीठा, रसीला 
और ख़ास हूं.

कच्चा हरा हो तो कैरी 
हूं, पना बनकर गर्मी 
का हरण कर लेता हूं.

पका और पीला हो तो 
आम हूं, आमरस बनकर 
मन को भाता हूं.

घर हो या दुकान 
हर जगह है मांग मेरी.

हर उम्र के लोगों का
प्रिय हूं.

मैं फलों का राजा 
कहलाता हूं, आम के आम गुठलियों 
के दाम यूं नहीं कहते लोग.

शिल्पा रोंघे 

स्त्री

"सुंदर" स्त्री...
ये विशेषण लगाने की 
ज़रूरत नहीं है. 
क्योंकि स्त्री शब्द ही 
सुंदर भी है संपूर्ण भी.

शिल्पा रोंघे 

Wednesday, June 26, 2019

दिल की बात

मोहब्बत करनी है हमें भी,
लेकिन दिल की कैसी ये ज़िद है बस उन्हीं से.
शिल्पा रोंघे 

Tuesday, June 25, 2019

वक्त का सवाल

वक्त की उभरती लकीरें,
जवानी की उदासियां,
ताउम्र की तन्हाईयां 
मिलती है इश्क में
फिर भी दिल में रहती है 
इक आस जवां 
इस जनम ना सही 
किसी और जनम 
में उनसे मुलाकात 
तो होगी.

शिल्पा रोंघे 

अंतरात्मा की आवाज

मुझे "मैं" ही रहने दो "तुमसा" ना बनाओ.

"तुम" बनकर जिया तब पछतावा हुआ
जैसे था "मैं" मिज़ाज वहीं अच्छा था.

शिल्पा रोंघे

Sunday, June 23, 2019

मेघ

मेघ ने उल्लास का आंसू बरसाया है जी भरकर.

नीर ने स्नेह से धरा को भिगोया है.

Saturday, June 22, 2019

मौसम

फिर हुआ 
बूंदों का मिट्टी से संगम.

क्या शहर में आने वाला है प्यार का 
मौसम ?

कि जैसे ठंडी हवा ने बादल से कहकर 
भेजा हो सौंधी मिट्टी से महकता 
कोई प्रेमपत्र.

कड़ककती बिजली जैसे दे रही 
हिदायत कि पैर जमीं पर 
संभाल कर रख.

ये बारिश ठंडक भी देती है
और काले काले छींटे भी.


शिल्पा रोंघे

Thursday, June 20, 2019

ख़्याल

जब दुनिया का आए ख़्याल-

ख़्यालों में ही हमारा ख़्याल रख लेना.
हकीकत ना सही सपने में ही तुम हमें 
अपना कह लेना.

शिल्पा रोंघे 

Wednesday, June 19, 2019

इतिहास

इतिहास बदला लेना नहीं सिखाता सतर्क 
रहना सिखाता है.

Tuesday, June 18, 2019

प्रेम

प्रेम......

अपेक्षित कुछ ख़ास 
नहीं.

फिर भी  ना जाने क्यों 
सच्चाई उसमें महसूस 
होती नहीं.

इकतरफ़ा प्यार पर लिखी गई 
कहानियां लेकिन....

सच मानो तुम लेकिन इसे 
निभाने में मेरी दिलचस्पी 
नहीं.

क्यों ना कर लूं 
मैं दोस्ती खुद से ही.
क्योंकि प्यार मजबूरी 
नहीं,भावनात्मक 
का दूसरा नाम है.
शिल्पा रोंघे 

Monday, June 17, 2019

बारिश का चाँद

फिर छिप गया चांद काली घटाओं में,
लेकिन रात को नूर देना कहां
भूला है वो.

उसकी फ़ितरत ही है रोशनी देना 
चाहे रहे पर्दे में या रहे बेपर्दा.

शिल्पा रोंघे

Sunday, June 16, 2019

उनकी बात

हमने उनकी ख़िदमत में सारी खुशियां
कुर्बान कर दीं.

और वो कहने लगे, तुमने ऐसा क्या किया 
है ? 

Saturday, June 15, 2019

अब तुमसे..

बिना तुम्हारी इज़ाजत 
अब तुम्हें ख़्वाबों, ख़्यालों 
में भी ना लाएंगे हम.
चाहे तुम कहो बेफ़िक्र 
या कह लो हमें पत्थर दिल.

अगर

ज़िंदगी की सुबह 
में मिले थे किसी 
राह पर दो दिल.

एक दूसरे के ज़ज्बातों 
से अंजान.

बदल गए रास्तें.
मगर दिल में बात थी 
दोनों के एक ही.

ज़िंदगी की शाम में हुआ फिर 
सामना तो बात फ़िर ये निकली 
काश ये चुप्पी किसीने तो 
तोड़ी होती.

शिल्पा रोंघे 

वक्त का दौर

कहते है लोग बदल जाना चाहिए 
वक्त और जमाने के साथ.

फिर सोना खरीदते क्यों है ये कहकर कि
वो बदलता नहीं हवा और पानी 
देखकर भी.

शिल्पा रोंघे 

Friday, June 14, 2019

दिल की पसोपेश

दिल की पसोपेश 

क्या तुम ?
क्या मैं भी ?

शायद तुम ?
या 
मैं भी ?

मुमकिन ?
या 
नामुमकिन ?

अनसुनी, अनकही 
आधी अधुरी सी 
रह जाती है कुछ 
कहानियां.

गर पहुंचती अंजाम 
तक तो शायद होती कल्पना 
से कई गुना ख़ुबसूरत.

शिल्पा रोंघे 

अति सर्वत्र वर्जयेत्



तकनीक सिर्फ उम्र बढ़ा 
सकती है.
उसे खुशहाल नहीं बना सकती.

शिल्पा रोंघे 

Thursday, June 13, 2019

पहली बारिश

बारिश की पहली बूंद 
महज एक बूंद 
नहीं.

वो आस है 
प्यासी नदियों और कुओं 
की.

वो हरी भरी सी मुस्कान है
पीले से पड़ चुके पत्तों 
की.

वो छोटी सी नदी है 
नन्ही नावों की.

वो अमृत है आसमान
ताकते किसान के लिए.

बेमतलब ही नाचते नहीं 
मोर जंगल में बादलों 
को देखकर.

समझो तो जीवन का शुभारंभ 
है बरसात.
नहीं तो सिर्फ बेवक्त 
भीगो देने वाला पानी.

शिल्पा रोंघे 

Wednesday, June 12, 2019

नारी अधिकार

काली बनों.
दुर्गा बनों.

आज की नारी 
सौम्यता नहीं 
कठोरता का आवरण 
तुम पहनों.

बिना धार की कलम भी 
क्या आ सकती है लिखने 
के काम ?

अपनी रक्षा के लिए 
तुम खुद ही कमर कसो.

शिल्पा रोंघे 

कलियुग

सब भगवान भरोसे चल रहा है.

कलियुग का दौर कुछ यूं है.
बोल बुरा,
देख बुरा,
सुन बुरा,
कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला.
गर सच बोला,
देखा और सुना 
तो बचाने वाला 
कोई ना होगा.

शिल्पा रोंघे 

Tuesday, June 11, 2019

मायानगर

इस मायानगर में
शराब है
और
शबाब है
डिस्को
बन चुका
धड़कन
है
लोकल
की तेज
आपाधापी
में
दौड़ता
हांफता
इंसान है
कही
गगनचुंबी
इमारते है
तो कही
सड़को
पर
भूखा
सोता इंसान
हैं
संमदर
किनारे
खड़े
हम
सोचते है
जाने कहां
बह गए
ज़ज्बात है
शिल्पा रोंघे 

कुछ ऐसा भी




क्या शिकवा करे हम उनका 
लेकर तो कुछ नहीं गए हमारा.
हां देकर ज़रूर चले गए कभी 
ना ख़त्म होने वाला अधूरा सा 
अकेलापन.

शिल्पा रोंघे 

Monday, June 10, 2019

लू

हवा ने बहना ही छोड़ दिया.
पत्तों ने सांस लेना ही बंद कर दिया.
ना चिड़ियां की चूं चूं 
ना कोयल की कू कू 
लगता है कुछ यूं ग्रीष्म
में जब चलती है लूं.

शिल्पा रोंघे 

Sunday, June 9, 2019

बेवजह

कहते है लोग ज़माना दुश्मन है प्यार का.
सच तो ये है तेरे मेरे बीच कोई और नहीं 
तेरा बेवजह का गुरूर आ गया.
मुमकिन सा लगता था जो काम 
पल में ही नामुमकिन हो गया.

शिल्पा रोंघे

मिटा दो यादों को

चले जाना है हमें भी इस दुनिया से इक 
दिन.
ज़िंदगी पर कहां किसी का है बस 
रहता.
जिएंगे कितने साल हमें भी नहीं पता.
लेकिन अब तुम्हारें ख़्वाबों और यादों 
से कर लो हमें लापता.

नहीं करना चाहते अब परेशान आपको 
मिटा डालों और भूल जाओं 
गर गलती  से भी मालूम हो 
तुम्हें मेरा पता.

शिल्पा रोंघे 



Friday, June 7, 2019

चलो सखी

चलो सखी सांझ होने
आई, सूरज ने ली विदाई.

ठंडी हवा ने ली अंगड़ाई.
पत्तों ने जैसे मिलकर बजाई
हो शहनाई.

एक आम का पेड़ है मुहल्ले में.
जो देखता है राह हमारी.

चलो मिलकर बनाए झूला
एक.
जिस पर हम दोनों बैठेंगे
बारी बारी.
कभी तुम, कभी मैं छुएंगे
आसमान को.
कभी धरा पर तो कभी
अंबर में गूंजेगी हंसी
तुम्हारी और मेरी

शिल्पा रोंघे

Thursday, June 6, 2019

गुनाह ए इश्क

आज हमें वो याद नहीं करते, हमने सोचा 
कुछ ऐब होगा हम में ही.

कल हम उन्हें भूल जाएंगे और वो कहेंगे 
कि सब मतलब के साथी है.

रवैया बदलना फ़ितरत नहीं हमारी 
लेकिन किरदार बदला, तो गुनहगार 
बिना वजह ही बन जाएंगे.

शिल्पा रोंघे 

Tuesday, June 4, 2019

पर्यावरण दिवस

प्राणवायु का संचार करते है 
हरियाली का विस्तार करते है.

प्रदूषण का जहर भी नीलकंठ
सा पीते है.

खट्टे मीठे स्वाद भरे फल देते है.
फूल सुगंध फैलाते है.
पत्ते इनके बनकर 
औषधि रोग हर लेते है.

गुजरे जो राह से तब 
छांव के छाते तले धूप को रोक 
लेते है.

अनेक छत्तें और घौंसले 
डाली पर इसकी शरण 
पाते है.

पेड़ प्रकृति की भेंट है अनमोल 
जो सिर्फ  देना जानते है लेना नहीं.

"चिपको आंदोलन" की प्रेरणा 
सारे संसार में फैलाओं.

कट ना पाए वन, छट ना पाए पेड़ 
ऐसी पर्यावरण प्रेम की अलख जगाओ.

शिल्पा रोंघे 


सवाल

हर रोज चलते चलते हरी घास पर.
हर रोज लेते हुए महक फूलों की. 
कुछ यूं दोस्ती उसकी कुदरत से हो गई,
कि चुभते हुए कांटे ने भी पूछ लिया 
कहीं तुम्हें दर्द तो नहीं हुआ.

शिल्पा रोंघे 

Monday, June 3, 2019

प्यार या अहसान ?

कर देना माफ़ मुझे 
मेरी ख़ामोशी के लिए.

अहसान और इश्क में 
फ़र्क पता है मुझे.

हो समझदार शायद 
हो ये पता तुम्हें भी.

शिल्पा रोंघे 

Sunday, June 2, 2019

किस्मत

किसी ने पूछा किस्मत से क्या तुम कभी 
नहीं पलटोगी ?
जवाब मिला हां ज़रूर, लेकिन तभी 
जब तुम कभी पीछे पलटकर नहीं देखोगी.

शिल्पा रोंघे 

Saturday, June 1, 2019

दिल

हमने तो उन्हें इश्क का मसीहा समझा 
और उन्होंने हमें कोरा कागज.
कभी मोड़कर कश्ती बना दिया 
तब बरसाती पानी को भी समझ के दरिया पार हमने कर लिया.

कभी आधा अधूरा खत समझकर 
बिना पते के ही भेज दिया, तो 
बंजारे सी ज़िंदगी को ही नसीब 
समझ लिया.

जो थी मर्ज़ी उनकी, फ़रिश्ता मानकर 
कबूल कर लिया.
ताज कांटों का था या फूलों का 
ख़ुशी ख़ुशी पहन लिया.

शिल्पा रोंघे 

ऐसे है वो

पूछते है लोग कैसे है वो ?
कह देते है हम बिल्कुल 
गर्म शामों  में ठंडी 
हवा  के झौंके की 
तरह.

शिल्पा रोंघे 

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।