Thursday, April 30, 2020

ये ज़िंदगी


कुछ गुत्थियां अनसुलझी ही रहने दो।
ये जीवन है केश नहीं जो सुलझ जाएं किसी कंघी से।
शिल्पा रोंघे

Tuesday, April 28, 2020

उम्मीद


उम्मीद गैरों से नहीं खुद से रखो।
वरना वो खुद टूट जाती है या तोड़ डालती है इंसान को।
शिल्पा रोंघे

नसीब


काश होती कोई तरकीब ऐसी भी ।
जिससे मालूम ये पड़ता कि
नाम लिखा है नसीब में उसके
किसका।
शिल्पा रोंघे

Monday, April 27, 2020

सोने की चिड़िया।


सोने की चिड़िया को
खंडहर का पंछी बना गए लोग।
हाय इस देश ने सदियों
देखी कैसी लूट।
भाषा और मजहब
से पड़ी फूट सिर्फ गुलामी के
दरवाज़े खेलती है
ना कि तरक्की के।
फिर भी जाने क्यों
इसे मान अपमान से
जोड़ लेते है लोग।
शिल्पा रोंघे


बैमौसम बारिश


जब कभी कड़कती है बिन मौसम ही दामिनी,
ग्रीष्म ऋतु में मेघ अपनी ठंडी बूंदों से यूं चकित कर देते है,
जैसे कि बुखार से तप रही भूमि के माथे पर ठंडी पट्टी रख गया हो कोई।
शिल्पा रोंघे

Sunday, April 26, 2020

मनुष्य की सपंत्ति


मनुष्य की सबसे बड़ी संपत्ती उसका चरित्र ही होता है।
बाकी सब कुछ नश्वर है इस दुनिया में।

Saturday, April 25, 2020

गिरधारी

मनोहर मुस्कान, चंचल नयन, कानों में कुंडल
और चेहरे पर आभामंडल।
मेरे गिरधारी सा ना कोई
और मनभावन।

शिल्पा रोंघे

ये मन की बात


जानते है हम कि उनसे कभी भी नहीं मिल सकते।
फिर  भी ना जाने लगता है ये क्यों बरसो से नहीं, सदियों से उन्हें पहचानते है हम।


दर्द की तंग गलियों से गुज़रती हुई,
फिर खुशियों के खुले आसमान
के तले ख़्वाब बुनती रहती हूं।
पता नहीं कब पूरा होगा
भावनाओं का ये स्वेटर मेरा,
जिसे बंद करके अलमारी में जिंदगी
की ठिठुरन से बचने के
लिए संभालकर रखना चाहती हूं।
शिल्पा रोंघे

Friday, April 24, 2020

संकीर्ण सोच का कोई इलाज़ नहीं...

स्वंय ने हमेशा इधर उधर से
सामग्री को लिया और साझा किया।
खुद से लिखने का प्रयास
कभी नहीं किया और
मौलिक रचनाकारों पर
इल्ज़ाम मढ़ दिया आखिर
तुमने क्या किया ?
शिल्पा रोंघे

कहानी गुड़िया की


सजा के अलमारी में मुझे
पूछना भूल जाते है सब
कि क्या मैं भी रोती
या मुस्कुराती हूं।

Thursday, April 23, 2020

इस दौर का मर्ज़


मर्ज़ वालों से दूरी बेशक बनाओ।
लेकिन नफ़रत ना करो, हमदर्दी  और दुआएं भी काम आती है सेहतमंद बनाने में।

अपनी सुरक्षा अपने हाथ.......


जाली नोटों और फ़र्जी लोगों
की ये ख़ासियत होती है कि बिल्कुल असली लगते है।
शिल्पा रोंघे

लॉकडाउन गुजरने के बाद का नज़ारा ऐसा होगा....



जब ये कैद ख़त्म होगी,
यकीनन इक नई शुरुआत होगी।
फिर नदियों के नीले शीशे में
साफ साफ दिखेगी परछाई इंसान की।
फिर सांसों को तरोताजा करने
वाली मतवाली हवा चलेगी।
पीपल के खड़खड़ाते पत्ते
और पौधों के अकुंर
मिसाल देंगे ज़िंदगी की नई
शुरुआत की।
फिर मुंडेरों पर बैठे कौवे
महसूस कर लेंगे
आहट इंसानी कदमों की।
सूरज मुस्कुराएगा
चांद चांदनी बिखेरेगा हमेशा की ही तरह,
लेकिन नज़ारा बदला बदला सा होगा ज़रुर.
चाहे हो कुछ दिन के लिए,
इस बदली फ़िज़ा और धरती के
खिले खिले रुप का दीदार तो होगा.
शिल्पा रोंघे



Wednesday, April 22, 2020

पुस्तक दिवस की बधाई


विश्व पुस्तक दिवस पर-

जो किताबी कीड़ें होते हैं
वो गुरु की गैरमौजूदगी
में भी दुनियादारी सीख जाते हैं।

जो किताबों से दोस्ती कर लेते हैं
वो जीने की कला अपने आप ही
सीख लेते हैं।

जो कागज और कलम की ताकत
पहचानते हैं वो बिना हथियार के
ही दुनिया बदलकर रख सकते हैं।

जिसके हाथ लग जाए किताबों का खज़ाना
वो इंसान दुनिया में सबसे ज्यादा धनवान होता है।
शिल्पा रोंघे



विश्व पुस्तक दिवस की बधाई


जो किताबी कीड़े होते है
वो गुरु की गौरमौजूदगी
में भी दुनियादारी सीख जाते हैं।

जो किताबों से दोस्ती कर लेते है
वो जीने की कला अपने आप ही
सीख लेते हैं।

जो कागज और कलम की ताकत
पहचानते है वो बिना हथियार के
ही दुनिया बदलकर रख सकते हैं।

जिसके हाथ लग जाए किताबों का खज़ाना
वो इंसान दुनिया में सबसे ज्यादा धनवान होता है।
शिल्पा रोंघे

Tuesday, April 21, 2020

जीने की कला...


किन बातों को नज़रअंदाज़ करना है,
और क्या अपनाना है, ये भी एक कला है।
शिल्पा रोंघे

पृथ्वी दिवस


तुमसे बनीं दीवारों को कूलर पंखों की ज़रुरत नहीं होती,
तुम पर चलने वाले पैरों को दवा की ज़रुरत क्यों होगी,
तुम पर उगने वाले पेड़ पौधों को भरण पोषण के बारे
में सोचने की ज़रुरत क्या होगी।
हे धरती मां अंबर और सागर
चादर ओढ़े हुए तुम,
तुम्हारी ममता की छांव से
ज्यादा इक इंसान की ज़रुरत क्या होगी।
शिल्पा रोंघे

फ़ासलें



फ़ासलें भी ज़रुरी होते हैं इंसानों के दरमियान।
दुश्मन भी वहीं बन जाते है अक्सर जो एक दूसरे  के गहरे दोस्त हुआ करते थे एक ज़माने में।


फ़ितरत


जो एक बार गलती करे
वो इंसान।
जो बार बार गलती करे
वो शैतान।
जो माफ़ करे वो भगवान।
शिल्पा रोंघे

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।