सोने की चिड़िया को
खंडहर का पंछी बना गए लोग।
हाय इस देश ने सदियों
देखी कैसी लूट।
भाषा और मजहब
से पड़ी फूट सिर्फ गुलामी के
दरवाज़े खेलती है
ना कि तरक्की के।
फिर भी जाने क्यों
इसे मान अपमान से
जोड़ लेते है लोग।
शिल्पा रोंघे
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