मैं अपने वतन लौट जाना चाहती हूं।
जिस डाल पर था मेरा घरौंदा
उसे और सजाना चाहती हूं,
बिना टिकट आई थी
और बिना टिकिट वापस जाना चाहती हूं,
रह ना जाए पंछी कोई भूखा
अनाज के कुछ दानें चुग कर लाना चाहती हूं।
पहली दफ़ा देखा है इंसानी बस्ती में सन्नाटा
ऐसा,
क्या हकीकत है यही पूरी दुनिया की
इस बात की तस्दीक करना चाहती हूं।
शिल्पा रोंघे
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