Wednesday, April 8, 2020

बाग का फूल


तोड़ तो डाला तुमने मुझे शाख से।
अब फिर से  इस बाग में खिलने
का हक तुम मुझसे नहीं छीन सकते।
जितनी ये मिट्टी तुम्हारी है
उतनी मेरी भी तो है।

शिल्पा रोंघे 

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