Tuesday, January 19, 2021

सफाई

 

सफाई देने का शौक है तो अपने

घर को चमका दो।

मन भी हल्का होगा

और तन भी स्वस्थ रहेगा।

शिल्पा रोंघे

Wednesday, January 13, 2021

संक्रांति

 

इस बार संक्रांति कुछ इस तरह मनाओं

पतंग चाहे जितनी भी उड़ाओं, नायलॉन के

मांझे से दूरी सब बनाओ।

शिल्पा रोंघे

Tuesday, January 12, 2021

ख़्याली पुलाव

 

ख़्याली पुलाव से ज़िंदगी नहीं चलती मालूम है मुझे।

लेकिन एक ख़्याल ही नींव डालने के लिए काफी है।

Monday, January 4, 2021

धरती

 

घूमना जारी था उसका दिन और रात।

रुक जाए इंसान के कदम भले ही, मिट्टी की

बनी दुनिया कहां रुकती है और थकती है।

ये सफर नहीं दो चार दिन का ये तो कहानी

है करोड़ों सालों की।

चाहे धूप हो या घनघोर अंधेरा

चाहे हो भारी बरसात या सूखे का डेरा।

भूख और प्यास का अहसास उसे कहां ?

वो तो पेड़ पौधे, फल और पानी समेटे है

आंचल में अपने ।

जो करती है भरण पोषण सबका

उसे अपनी सुध ही कहां ?

 

शिल्पा रोंघे

 

Saturday, January 2, 2021

ख़्वाब

 

चलो अब ख़्वाहिश उसी की रखेंगे जो मुक्कमिल ना हो सके, पहले से ये मालूम हो।

कुछ इस तरह से बेवजह की आफ़तों से छुटकारा कर लो।

ख़्वाब को ख़्वाब ही रहने दो।

हकीकत की ज़मीन पर गिरा कर उसे मटमैला ना होने दो।

शिल्पा रोंघे

Friday, January 1, 2021

साफ़गोई

 

ख़ामखा हो जाते है बदनाम वो लोग, जो दिल के सच्चे होते हैं।

साफ़गोई को ना समझने वाले अक्सर कान के कच्चे होते हैं।

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।