Tuesday, October 27, 2020

इंसान की तासीर

 

इंसान रईस हो ना हो।

शरीफ़ ज़रुर होना चाहिए।

फ़ितरत

 

अब क्या कहूं मैं अपने दिल का अरमान।
सूखे पत्तों में भी हरियाली ढ़ूंढने की आदत है
मेरी।
पत्थरों पर लकीरों को खींच
खींचकर ज़िंदगी
से भरी तस्वीर
उकेरने की फ़ितरत है
मेरी।
अंधेरी रातों को निहारने
और दिल के उजालों को
शुक्रिया करना ही बंदगी है मेरी।
शिल्पा रोंघे

Wednesday, October 21, 2020

मेरी पसंद

 


पहले मुझे स्वादानुसार खाना पसंद था।

अब मुझे स्वास्थ्य अनुसार खाना पसंद है।

Sunday, October 18, 2020

दुनिया

 

उतनी भी बुरी जगह नहीं ये दुनिया जितना कुछ लोग समझते हैं।

अक्सर जीवन के मीठे और कड़वे अनुभव ही इंसान का नज़रिया बदलकर रख देते हैं।

 

शिल्पा रोंघे

Tuesday, October 13, 2020

उस मोड़ पर

 

रुमानी बातों की भी इक उम्र होती है.

उम्र के इक मोड़ पर आकार लगता

है जैसे सब कुछ हो गया हो बेमानी जनाब.

शिल्पा रोंघे

Sunday, October 11, 2020

अदा

 आँखों  में नशा हो ना हो.

लफ़्ज़ों में एक अदा ज़रूर होना चाहिए.


दिल की कहानी

 

सात समुंदर पार है।

या चांद के उस पार है।

दिल तो ख़्वाबों के

उड़नखटोले पर,

तो कभी नाव पर सवार है।

कुछ ऐसा ये पाबंदियों का दौर

ना जाने कहां इस दिल का ठौर है।

Saturday, October 10, 2020

किस्मत

 

किस्मत तुम्हें यूं चौंकाएगी।

गलत शख़्स से सही,

सही शख़्स से गलत

वक्त पर रुबरु

करवाएगी।

शिल्पा रोंघे

Friday, October 9, 2020

सांसें

 

मत घोंट गला तू अपने अरमानों किसी के लिए, बेइंतिहा।

कि अपनी ही सांसे काम आती है

खुद को ज़िंदा रखने के लिए।

Wednesday, October 7, 2020

हमराही

 

हमराही

सिर्फ अधिकार जताने की बजाए

साथ देने वाला हो

तो कितना ही दुर्गम हो

रास्ता पार हो ही जाता है।

वरना ज़िंदगी का सफ़र अकेले ही

भला।

शिल्पा रोंघे

Thursday, October 1, 2020

पौधे की ज़ुबानी

 

तो क्या हुआ गर जमीन जुड़ा हूं।

अपनी ख़ुशी चुनने का हक मैं भी रखता हूं।   

सही और गलत क्या इसकी परख रखता हूं।

नहीं मालूम इल्म की बड़ी बड़ी बातें।

धूप हो या बारिश हर मौसम

में फलने फूलने की समझ मैं भी रखता हूं।                                          


शिल्पा रोंघे                                         

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।