Tuesday, October 27, 2020

इंसान की तासीर

 

इंसान रईस हो ना हो।

शरीफ़ ज़रुर होना चाहिए।

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मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...