Friday, June 3, 2016

जाने कैसे दिखते होंगे तुम


करते है याद जब
बचपन के वो
दिन तो सोचते
है
जाने कैसे दिखते 
होंगे तुम .......
रोज स्कूल
से आते
वक्त
मेरे घर
के सामने
से गुजरते
थे तुम
घर की
खिड़की
के तरफ़
ताकते
थे तुम
और
परदे की
ओट के
पीछे
छुपते
थे
हम......
सोचते
है हम
अब कैसे
दिखते
होंगे तुम.....
इक बार
गलती
से तुम्हारी
क्लास
में चले
गए थे हम
कोरे कागज़
पर इक
तस्वीर
बना रहें
थे तुम
शायद
कुछ छिपा
रहे थे
तुम
पर जानत है
तस्वीर
में गुड़िया
नहीं
शायद
छुपे
थे हम......
सोचते
है अब हम
कैसे
दिखते
होंगे
तुम......
खेल के
मैदान में
खड़े थे
तुम
पेड़
से चुरा
कर बेर
हाथों में
हमारे
थमा
गए थे
तुम....
शायद
कुछ
कहना
चाहते
थे तुम....
बज गई थी
इंटरवल
की बेल
इसलिए
निकल लिए
हम
पर शायद
कुछ
कहना
चाहते
थे
तुम
मेरे
शहर
को तो
छोड़
गए तुम
पर सोचते
है हम
जाने कैसे
दिखते
होंगे
तुम 

शिल्पा रोंघे

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होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।