कभी हमारा दिल चुराते थे
आज निगाहे चुरा रहे हो
गुनाह तो दोनों बार किया
ना दिल वापस किया
ना हमारी निगाहों
के सवालों का
जवाब दिया
तुम तो बाइज्जत बरी
हो गए
लेकिन बिन गुनाह
के ही सजा काट रहे है हम
तुम किसी और की चाह
बन गए
और तन्हाई की सलाखों के पीछे
कैद हम हो गए.
शिल्पा रोंघे
आज निगाहे चुरा रहे हो
गुनाह तो दोनों बार किया
ना दिल वापस किया
ना हमारी निगाहों
के सवालों का
जवाब दिया
तुम तो बाइज्जत बरी
हो गए
लेकिन बिन गुनाह
के ही सजा काट रहे है हम
तुम किसी और की चाह
बन गए
और तन्हाई की सलाखों के पीछे
कैद हम हो गए.
शिल्पा रोंघे
No comments:
Post a Comment