बंद कर लिए दिल के दरवाजें
क्योंकि बारिश ही इतनी
मनचली है.
शायद रुमानियत है बूंदों में
तभी तो भिगोने पर तूली है.
ये बूंदे सैलाब बनकर बहा
ना ले जाए इसलिए घर
से ना निकलने की मजबूरी है.
इस दिल में कोई खिड़की
भी नहीं है क्योंकि इसमें
नफ़रत को भी आने की
मनाही है.
ये बताने की जरुरत नहींं कि प्यार और नफ़रत
दोनों ही ला सकते तबाही है.
Shilpa Ronghe

No comments:
Post a Comment