Thursday, June 2, 2016

नफरत और मोहब्बत

नफरत और मोहब्बतका चोली दामन का साथ है नजरियें को चाय की छन्नी सा बना लों कड़वाहट के दाने छन जाएंगे मिठास का प्याला हाथ में थाम लो

शिल्पा रोंघे

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मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...