Based on conversation Two friend
जब उनकी नजरो ने कुछ पूछा था तुमसे
तो तुमने क्यों नजरे चुराई
क्या इतनी नफरत थी दिल में तु्म्हारे समाई
वो बोली नहीं मोहब्बत ही थी बेपनाह
जो नहीं जा रही थी छुपाई
ऐसी थी मजबूरी की
वो ना हां कह पाई ना कह पाई
दिलो-दिमाग पर छाई है वहीं एक परछाई
पर शायद वो तो समझे कि हमनें की है बेवफाई.
शिल्पा रोंघे
Conversation poem part -2
मैनें उससे पूछा बिन मोहब्बत जिंदगी भी सूनी है
तो उसने कुछ यूं जवाब दिया
पहले खुद से मोहब्बत करना तो
सीख नादान
ये जिंदगी भर टिकने वाला प्यार है
यहा धोखे की गुजांईश भी बहुत कम हैं.
शिल्पा रोंघे
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