Thursday, June 2, 2016

ईद का चांद

Moon, Cypress, Mountains, Moonrise, Full Moon, Romantic
तुम तो ईद का चांद हो गए
जो मुश्किल से दीदार हो देते
जब तुझको लेकर संजीदा नहीं थे
पूरनमासी थी जिंदगी

उसे तुम क्यों अमवस्या की
रात बना गए
Shilpa Ronghe

No comments:

Post a Comment

मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...