Saturday, June 30, 2018

तुम्हारी कदर है या नहीं

किसी के लिए छोड़ दो ज़माने की फ़िकर
उससे पहले सोच लेना ज़रूर ये.
उसे तुम्हारी कदर है या नहीं.

शिल्पा रोंघे 

Friday, June 29, 2018

रिश्तों का रंग

खून से भी गहरे रंग के होते है 
वो रिश्ते.
जो दिल से जुड़ते है.

शिल्पा रोंघे 

Thursday, June 28, 2018

तुलसी

यूं तो मनमोहक फूल नहीं लगते.
ना ही उसमें इत्र सी सुंगध तो 
क्या हुआ.

तन में मन प्राणवायु सी बहती
सुंगध चारो दिशाओं 
को पवित्र है करती.

संजीवनी बूटी सी 
काम करती है वो.
घर आंगन में पूजी जाती हैं,
देवालय में अर्पित की जा 
है वो.

कभी औषधी बन जाती है.
तो पंचामृत की अमरता बढ़ाती है.
हरा सौंदर्य
लिए तुलसी 
हर घर आंगन 
में ममता है बिखेरती.

शिल्पा रोंघे


काश ऐसा हो

काश ऐसी भाषा आ जाए मुझे, जिसे बस तू समझे,
लाखों की भीड़ में भी.
शिल्पा

एक दीवाने का ख़त-कविता

एक दीवाने का ख़त-कविता 

सुन ओ दीवानी यूं खिलखिलाकर 
हंसा ना कर.
ना जाने क्यों लगता है मुझे 
गुलाब के फूल गिर रहे है मुझ पर.
तेरा ख़्याल बनकर.

सुन ओ दीवानी 
यूं बेवक्त उदास हुआ ना कर.
लगता है ना जाने क्यों 
लगता है तेरे आंसू बरस 
रहे है मुझ पर सावन बनकर.

सुन ओ दीवानी 
यूूं रूठा ना कर मुझसे.
लगता है बिजलियां कड़क 
रही मुझ पर तेरी नाराजगी 
बनकर.

महक रहा हूं, भीग रहा हूं,
तुझे ही याद कर रहा हूं शायद 
इसलिए कह रहा हूं मैं 
चाहती हो मेरी ख़ैरियत 
तो अपनी अदाओं 
से कह दो मौसम 
की तरह मनमानी ना कर.

शिल्पा रोंघे 

दोहरी मानसिकता- व्यंग्य

दोहरी मानसिकता- व्यंग्य

लड़की :
पिता जी और पढ़ना चाहती हूं.

पिता: हो तो गई ग्रेजुएट, शादी में भी तो खर्चा होगा
अब रहने दो.

लड़का: ग्रेजुएट होकर भी नौकरी नहीं लगी अब क्या करूं ?

पापा: हमें कौन सा शादी में खर्चा करना है, जितना चाहे
        पढ़ ले.

लड़की : नया सामान ले लो.
पिताजी: रूक तेरे ब्याह के वक्त लुंगा और तुझे दे दूंगा हम पुराने सामान से काम चला लेंगे.

लड़का : नया सामान ले लो.
पिताजी: अगले बरस तेरी शादी में मिल ही जाएगा, चिंता क्यों करते हो.

लड़की : पिताजी क्या लड़का मेरे लायक है ?
पिताजी: लड़के की सूरत नहीं सीरत देखो.

लड़का : क्या मेरे लायक है लड़की ?
पिताजी: तुझे बिल्कुल सूट नहीं करती, क्या कहेंगे
लोग इतना अच्छा लड़का है.

लड़की: लड़के की पढ़ाई मेरे लायक है?

पिताजी : जिंदगी समझौते का नाम है.

लड़का: क्या लड़की की पढ़ाई मेरे लायक है.

पिताजी: बिल्कुल नहीं, सिर्फ सूरत से क्या होता
है बुद्धिमान भी तो हो.

       
लड़की: मैं नौकरी और घर के काम में संतुलन कैसे बना पाउंगी

पिताजी: सुबह जल्दी उठकर काम निपटाकर कर
चली जाना दफ़्तर.

लड़का: मुझे तो चाय बनाना भी नहीं आती, मेरी बीवी
काम से लौट कर आएगी तो मैं क्या कहूंगा.

पिताजी: ये तेरा काम नहीं, तेरी पत्नी का है
उसे कह देना ऐसी नौकरी ढूंढे की परिवार भी संभाल
सके.

शिल्पा रोंघे

Monday, June 25, 2018

अहंकार क्यों ?

इस दुनिया में है नश्वर सभी.
कहते थे जिस साम्राज्य को "ना डूबने वाला सूरज"
सभी.
वो बस इतिहास के पन्नों में कड़वी यादों
में सिमट चुका है अभी.
तो फिर अहंकार की भावना हम पाले क्यों
बिना वजह ही.

शिल्पा रोंघे

रूके हुए कदम

तेरी आसमान को छूती बेपनाह ख़्वाहिशों 
का रोड़ा ना बनूं कहीं मैं.

मेरी आंखों की नमी से धूल ना जाएं 
स्याही सी चाहते तेरी.

मेरी मजबूरियां कहीं छिन ना ले 
खुशियां तेरी.

बस इसी डर ने मुझे 
उस मंजिल तक आने से रोक 
दिया, जहां बसती थी 
सुनहरी तमन्नाएं तेरी 

शिल्पा रोंघे

Friday, June 22, 2018

एक बच्चे के मन की उलझन _ कविता


किसी ने कहा अपनी प्रतिभा
निखारो.

किसी ने कहा धन कमाने में
ध्यान लगाओ.

किसी ने कहा शोहरत का
शौक रखो.

पर किसी ने नहीं कहा
कि अच्छा इंसान बनकर
दिखाओ.

सोचता हूं मैं आजकल यही
कि स्कूलों से सफल इंसान बनकर
सब निकल रहे है, जिनकी गिनती में
कैलकुलेटर भी कम पड़ रहे हैं.
लेकिन अच्छे
इंसान कितने बन रहे है.
ये हम उंगलियों पर आसानी
से गिन पा रहे हैं.

शिल्पा रोंघे

Thursday, June 21, 2018

बारिश का मज़ा

ना मेंढ़कों की टर्र टर्र सुनाई देती हैं.
ना मोर नाचते दिखाई देते हैं.
फिर भी बारिश का इंतज़ार 
हम बचपन से लेकर आज 
तक किसी त्यौहार की तरह 
करते है.

शिल्पा रोंघे 

स्त्री की पसंद

जो पुस्तके चाहे प्राचीन हो, या आधुनिक हो.
स्त्री को पुरुष से कमतर आंकती हो,
उसके अधिकारों में कटौती की बात
करती हो.
केवल दमन की पैरवी करती हो.
पक्षपातपूर्ण रवैया रखती हो.
वो किसी भी सशक्त स्त्री के
लिए सिर्फ रद्दी का ढेर मात्र है.

शिल्पा रोंघे

Wednesday, June 20, 2018

हैसियत से प्रतिभा तय नहीं

हैसियत देखकर प्रतिभा
तय होती नहीं.

महंगे कॉलेज में पढ़े अमीर
की चर्चा तो सब करते है.

 लेकिन
खबर तो तब बनती है,
जब
किसी गरीब का बच्चा सरकारी स्कूल में
पढ़कर भी मेरिट लिस्ट में आ
जाता है.

शिल्पा रोंघे

वंशवाद

महाभारत में पांडवों

के हाथों कौरव का नाश.

रामायण में विभीषण ने

खोला रावण की मौत का राज.

आज भी है प्रासंगिक इतिहास.

नहीं चलता,

सत्ता हो या शासन

लंबे समय तक वंशवाद और भाई भतीजावाद.

शिल्पा रोंघे

Sunday, June 17, 2018

एक अनकहा सा ख़्वाब

माना की तुमसे खुबसूरत
हम नहीं हैं.

जितने तुम हो उतने अक्लमंद
भी नहीं हैं.

पर एक बात सच कहते है तुमसे ज्यादा हमें
कोई और पसंद भी
नहीं हैं.
शिल्पा रोंघे

Saturday, June 16, 2018

नादान दिल



घरवालों ने समझाया
दोस्तों ने चेताया.

फिर भी आंख
मूंदकर तुम पर
भरोसा करने
लगे हम.

सच कहते हैं
लोग
गुनेहगार तुम नहीं
नादान तो थे हम.

शिल्पा रोंघे

Wednesday, June 13, 2018

क्या पुरुष रोते है ?

यूं तो फौलादी इरादों वाले समझे जाते है.
ज़ज्बातों को आसानी से छिपा जाते हैं.
कोमलता इनके व्यक्तित्व का अंग 
मानी जाती है कहां ?
कैसे, कब, कहां ये दिल 
पे रखा बोझ उतार पाते है.
ना जाने किससे अपने दिल की बात 
साझा करते हैं ?
यूं तो अांसू नारीत्व प्रतीक माने 
जाते हैं.
क्या कभी पुरूष भी आंखों 
से नमकीन पानी बहाते है ?
क्या सचमुच पुरुष भी 
महिलाओं की तरह खुलकर रोते है ?
शिल्पा रोंघे 

Tuesday, June 12, 2018

अतीत का झरोखा

अतीत की बेड़ियों के मोहपाश में उलझा मनुष्य
नहीं चढ़ सकता कभी सुनहरे भविष्य के पायदान.

शिल्पा रोंघे

कभी तो दिल की सुन

दे वक्त कुछ खुद को भी.
दे कभी अपनी राय को भी तव्वजोह.
कभी तो पलटकर देख.
अपने साये की आवाज को ना कर यूं अनसुना.

Sunday, June 10, 2018

बाल कविता _ भारत भूमि



जब जब होंगे इस धरा पर वीर
बाल भी बांका ना कर सकेगा कोई विदेशी.

वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, भगत सिंह, सुभाषचंद्र और लक्ष्मीबाई
जैसे वीर और वीरांगना होंगे जब तक भारत भूमि
पर .
छू  ना सकेगा  सरहद को कोई दुश्मन.

जब तक होंगे मीरा, तुलसी, सूरदास और शबरी
से भक्त,
बहता रहेगा भक्ति का सागर.

जब तक होंगे कृष्ण और सुदामा से
मित्र,
दी जाएंगी मित्रता की मिसाल.

जब तक होंगे ऐसे लोग
रहेगी  भारत भूमि पावन.

शिल्पा रोंघे

Saturday, June 9, 2018

प्रकृति की सीख

प्रकृति की सीख

करते वृक्ष छाया सब पर समान.
कहे ना करो भेदभाव.

फूलों से रस निकालती
मधुमख्खी देती मेहनत का संदेश.

झर झर बहता झरना,
देता सीख.
चलते रहो ना मुड़ के देखो.

सूर्य देता सबको प्रकाश
कहता दूसरो के लिए जियो चाहे खुद
जलो.

प्रकृति की सीखे है अनमोल
करे इसका सदुपयोग.

शिल्पा रोंघे

खिलौनों की सभा

बाल कविता

हुई सभा एक दिन गुड्डे गुड़ियों की.
गुड़िया बोली,
मैं सुंदरता की पुड़िया
मुझसे ना कोई बढ़िया.

इतने में आया गुड्डा
पहन के लाल चोला,
कितनों का घमंड है मैंने तोड़ा.

बीच में उचका काठी का घोड़ा
अरे चुप हो जाओ तुम थोड़ा.
मैंने ही हवा का रुख़ है मोड़ा.

लट्टू  घूमा, कुछ झूमा.
बोला लड़ों ना गिरो ना,
ज़रा संभलों
सभी हो एक से बढ़कर एक.

बच्चों का मन बहलाए वही
कहलाता है खिलौना.
ना जादू ना टोना, ना सोना
दिल की बात बचाए बच्चा जब सामने हो कोई
खिलौना.

शिल्पा रोंघे

Friday, June 8, 2018

बारिश का आगमन

बुखार से तपती
धरती के माथे
पर ठंडी पट्टी
सी बारिश.

शिल्पा रोंघे 

Wednesday, June 6, 2018

भाई भतीजावाद

हरे भरे पेड़ तो घट रहे हैं.
लेकिन भाई भतीजावाद
काफी फल फूल रहा है.
फिर भी हैरानी से पूछते है लोग
ना जाने क्यों अपना देश
तरक्की की राह पर इतना
धीमा है ?

शिल्पा रोंघे

Tuesday, June 5, 2018

एक कविता पुरुष पर

ना बहुत सुंदर होना,
ना बहुत धनवान होना,
ना बहुत शक्तिशाली होना,
ना बहुत रौबदार होना,
ना बहुत वैभवशाली होना,
ना बहुत संपत्तिवान होना,
ना बहुत प्रतिभाशाली होना,
एक सच्चे पुरुष की पहचान हैं,
स्त्री के संरक्षण को अपना 
कर्तव्य समझे वहीं पुरुष 
सबसे ज्यादा रूपवान है.
साहस, वीरता और शालीनता 
ही एक सभ्य पुरूष के गुण हैं.

शिल्पा रोंघे

Saturday, June 2, 2018

जीवन का उत्तरार्ध

पतझड़ के झड़ते पत्ते
और ढलता सूरज है सिखाता 
कितना सुंदर होता है जीवन 
उत्तरार्ध भी.
तभी तो कभी सूर्यास्त तो कभी सूखा पत्ता 
चित्रकारों की कला हिस्सा होता है.

शिल्पा रोंघे

Friday, June 1, 2018

आईना ऐसा होता तो

काश ऐसा भी एक आईना होता
जो ना सिर्फ चेहरा दिखाता
बल्कि अपनों और बेगानों की पहचान
भी करा देता.
तो फिर दुनिया में कोई शख़्स
ना धोखा खाता,
ना देने की हिम्मत
जुटा पाता.

शिल्पा रोंघे

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।