यूं तो फौलादी इरादों वाले समझे जाते है.
ज़ज्बातों को आसानी से छिपा जाते हैं.
कोमलता इनके व्यक्तित्व का अंग
मानी जाती है कहां ?
कैसे, कब, कहां ये दिल
पे रखा बोझ उतार पाते है.
ना जाने किससे अपने दिल की बात
साझा करते हैं ?
यूं तो अांसू नारीत्व प्रतीक माने
जाते हैं.
क्या कभी पुरूष भी आंखों
से नमकीन पानी बहाते है ?
क्या सचमुच पुरुष भी
महिलाओं की तरह खुलकर रोते है ?
शिल्पा रोंघे
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