Wednesday, June 13, 2018

क्या पुरुष रोते है ?

यूं तो फौलादी इरादों वाले समझे जाते है.
ज़ज्बातों को आसानी से छिपा जाते हैं.
कोमलता इनके व्यक्तित्व का अंग 
मानी जाती है कहां ?
कैसे, कब, कहां ये दिल 
पे रखा बोझ उतार पाते है.
ना जाने किससे अपने दिल की बात 
साझा करते हैं ?
यूं तो अांसू नारीत्व प्रतीक माने 
जाते हैं.
क्या कभी पुरूष भी आंखों 
से नमकीन पानी बहाते है ?
क्या सचमुच पुरुष भी 
महिलाओं की तरह खुलकर रोते है ?
शिल्पा रोंघे 

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होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।