जो पुस्तके चाहे प्राचीन हो, या आधुनिक हो.
स्त्री को पुरुष से कमतर आंकती हो,
उसके अधिकारों में कटौती की बात
करती हो.
केवल दमन की पैरवी करती हो.
पक्षपातपूर्ण रवैया रखती हो.
वो किसी भी सशक्त स्त्री के
लिए सिर्फ रद्दी का ढेर मात्र है.
शिल्पा रोंघे
स्त्री को पुरुष से कमतर आंकती हो,
उसके अधिकारों में कटौती की बात
करती हो.
केवल दमन की पैरवी करती हो.
पक्षपातपूर्ण रवैया रखती हो.
वो किसी भी सशक्त स्त्री के
लिए सिर्फ रद्दी का ढेर मात्र है.
शिल्पा रोंघे
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