बारिश की पहली बूंद
महज एक बूंद
नहीं.
वो आस है
प्यासी नदियों और कुओं
की.
वो हरी भरी सी मुस्कान है
पीले से पड़ चुके पत्तों
की.
वो छोटी सी नदी है
नन्ही नावों की.
वो अमृत है आसमान
ताकते किसान के लिए.
बेमतलब ही नाचते नहीं
मोर जंगल में बादलों
को देखकर.
समझो तो जीवन का शुभारंभ
है बरसात.
नहीं तो सिर्फ बेवक्त
भीगो देने वाला पानी.
शिल्पा रोंघे
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