ज़िंदगी की सुबह
में मिले थे किसी
राह पर दो दिल.
एक दूसरे के ज़ज्बातों
से अंजान.
बदल गए रास्तें.
मगर दिल में बात थी
दोनों के एक ही.
ज़िंदगी की शाम में हुआ फिर
सामना तो बात फ़िर ये निकली
काश ये चुप्पी किसीने तो
तोड़ी होती.
शिल्पा रोंघे
No comments:
Post a Comment