इस मायानगर में
शराब है
और
शबाब है
डिस्को
बन चुका
धड़कन
है
लोकल
की तेज
आपाधापी
में
दौड़ता
हांफता
इंसान है
कही
गगनचुंबी
इमारते है
तो कही
सड़को
पर
भूखा
सोता इंसान
हैं
संमदर
किनारे
खड़े
हम
सोचते है
जाने कहां
बह गए
ज़ज्बात है
शिल्पा रोंघे
शराब है
और
शबाब है
डिस्को
बन चुका
धड़कन
है
लोकल
की तेज
आपाधापी
में
दौड़ता
हांफता
इंसान है
कही
गगनचुंबी
इमारते है
तो कही
सड़को
पर
भूखा
सोता इंसान
हैं
संमदर
किनारे
खड़े
हम
सोचते है
जाने कहां
बह गए
ज़ज्बात है
शिल्पा रोंघे
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