प्रेम......
अपेक्षित कुछ ख़ास
नहीं.
फिर भी ना जाने क्यों
सच्चाई उसमें महसूस
होती नहीं.
इकतरफ़ा प्यार पर लिखी गई
कहानियां लेकिन....
सच मानो तुम लेकिन इसे
निभाने में मेरी दिलचस्पी
नहीं.
क्यों ना कर लूं
मैं दोस्ती खुद से ही.
क्योंकि प्यार मजबूरी
नहीं,भावनात्मक
का दूसरा नाम है.
शिल्पा रोंघे
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