उम्मीद के दीपक तब बुझते है.
जब हम उसमें तेल
किसी और के
हाथों भरने की उम्मीद
करते है .
वरना खुद पर हो
भरोसा तो देखों
साई के हाथों से भी
पानी के दिए भी जल
चुके है .
शिल्पा रोंघे
जब हम उसमें तेल
किसी और के
हाथों भरने की उम्मीद
करते है .
वरना खुद पर हो
भरोसा तो देखों
साई के हाथों से भी
पानी के दिए भी जल
चुके है .
शिल्पा रोंघे
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