Sunday, May 5, 2019

नारी मन

निष्कपट नारी मन 
कहां पुरूष अहं को 
समझता है ?
उसकी जीत के लिए 
अपनी हार का भी उत्सव 
मनाता हैं.

शिल्पा रोंघे 

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