Saturday, March 9, 2024

सम्पूर्ण

 सम्पूर्ण की तलाश करने वाले लोग ही आत्मिक रूप से अपूर्ण होते हैं।

No comments:

Post a Comment

मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...