भारी भरकम काम करते है,
चुस्ती फुर्ती से भर जाना चाहते है.
बारिश की बूंदों में भीग जाते है,
पकौड़ों का मज़ा और बढ़ना चाहते है.
सर्दियों में हल्दी और अदरक संगम चाहते है,
ठिठुरन से निजात पाना चाहते है.
कभी कभी यूं ही गुफ़्तगु करना चाहते है,
माहौल को ख़ुशनुमा बनाना चाहते है.
वो जो लोग सुख और दुख
साथ साथ बांटना चाहते है,
वो लोग चाय की चुस्कियों
को ही अमृत समझते है.
शिल्पा रोंघे
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