Tuesday, August 23, 2016

लगता है यूं भी कभी कभी

लगता है यूं भी कभी कभी
इस दुनिया में ज़ज्बात
धुआं बनकर उड़ गए है.
शायद आसूंओं के जो
थे दरिया आंखों में वो सूख
गए है अभी
थोड़ा तुम और थोड़ा
हम शायद पत्थर दिल
बन गए है.
चलों यूं करते है
रख देते है
इन्हे अपनी हथेली
पर एक साथ
कभी
फिर देखेंगे
होता है
क्या भड़केगी
नफ़रत की चिंगारी
या
फिर जल उठेगा
प्यार का दिया
गलती से कभी
चलोें छोड़
देते है अंजाम
होगा क्या
दो दिलों पर
ही
और चुप रहते है
हम दोनों अभी.
शिल्पा रोंघे

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होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।